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कुकुर चलेला कार में,भइल सवख बरियार

कुकुर चलेला कार में,भइल सवख बरियार 

बइठ मेम के गोद में, इहे भइल बा यार। 

कुकुर नहात साबुन से,उड़त हवा में बाल
आदमी नियन नाम बा,आदमी नियन चाल।

खेत बारी बंटि गइल,बंटल नेह सनेह 
सब लोग अफनाइल बा,लेके आपन देह।

ओखर,मूसर जांत सब,हो गइल बा उदास 
गाय बाछी दूर भइल,नदवो करे उपास।

मोट अनाज छूट गइल,डंकल मिले अनाज 
जोर कहां बा देंह में,करावे सब मसाज। 

हर-हरिस लउकत नइखे,लउके कहां जुआठ 
घर में देख मोबाइल,करे खूब रवुराठ।

होखत समहुत कहां बा,कहां होत खरिहान 
जहां अइसन कुछ होखे ,होई बहुत महान। 

युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात
खत्म हो गइल नीक चीजु,रोगे बा सब खात।

आम महुआ बूढ़ भइल,टूटत नइखे सान 
धरन बड़ेंर उजहि गइल,गुम भइल नेवान। 

पड़त अइसन गरमी बा,हाल भइल बदहाल
पंखा कूलर फेल बा,तंग टोला महाल।

पेड़ खूब सब काटता,लिखता धरती ग्रीन 
काम चलता नारा से,घरे में कृत्रिम सीन।

दुख देखत दूसरा के,मन में खूब मुस्कात 
अब कहां केहू मिलता,नइखे हिया धधात।

सुख चैन खूख हो गइल ,जूझत बाटे लोग 
सुखी उहे कहल जाई,जेकर देंह निरोग। 
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रचनाकार राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
संकलन रमेश कुमार 
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