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“कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो”

“कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो”

रचना ---
✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जुगाड़ की शरण ले प्राणी!
वोट की माया बड़ी निराली,
वाणी हो मीठी, चाल तूफानी !!
कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जय लोकशक्ति शरणम् !
जय मतदाता चरणम् !!


वादों का दीप जलाओ प्यारे,
बातों में रंग जमाना !
घोषणाएँ बरसाओ मीठी,
पर ‘डेटा’ मत दिखलाना !!
कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जय लोकशक्ति शरणम् !
जय मतदाता चरणम् !!


दल-बदल की नाव चढ़ाना वंदे,
सिद्धांत को थाम न लेना
जहाँ दिखे सत्ता की सीढ़ी,
बिना झिझक चढ़ जाना!!
कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जय लोकशक्ति शरणम् !
जय मतदाता चरणम् !!


जनता जब पूछे सवाल कभी,
हंस देना- "हम क्या करें भाई" !
फिर पाँच बरस में लौटेंगे,
वही पुराना सपना सजाई!!
कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जय लोकशक्ति शरणम् !
जय मतदाता चरणम् !!


कुर्सी भी चंचला लक्ष्मी सी,
कभी यहाँ, कभी वहां जाना !
आलाकमान को मक्खन लगा,
फिर से वहीं सिंहासन पाना !!
कुर्सी का सुख प्राप्त करना हो,
जय लोकशक्ति शरणम् !
जय मतदाता चरणम् !!


जनता देखे नाटक सारा,
हँसे मगर कुछ बोले ना।
कुर्सी की लीला अपार है,
जो पाया वो खोले ना।।

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