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“स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो”

“स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो”

रचना ---
डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो,
पुण्य की राह चलो रे प्राणी!
लोभ मोह का त्याग करो रे,
सत्कर्म की ही सुनो कहानी!!


स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो...
श्री हरि शरणं!
जय श्री नारायण रमणं!!


सत्य वचन को दीप बनाओ,
धर्म का मार्ग रुख अपनाओ।
दूसरों के हित में जो रमे हैं,
उसको ही सिर्फ गुरु गिनाओ!!


स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो...
श्री हरि शरणं!
जय श्री नारायण रमणं!!


क्रोध-द्वेष को मन से दूर करो,
मन में प्रेम अनुराग बसाओ।
क्षमा का फूल हृदय में खिले,
हर प्राणी में हरि को पाओ!!


स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो...
श्री हरि शरणं!
जय श्री नारायण रमणं!!


दान करो निःस्वार्थ भाव से,
सेवा भाव को धर्म बनाओ।
भूखे को प्रेम से अन्न खिलाओ,
वंचितों को गले लगाओ!!


स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो...
श्री हरि शरणं!
जय श्री नारायण रमणं!!


हरि नाम ही है पथ अमोघ,
जिससे भवसागर तर जाए।
नारायण की शरण में आओ,
मोक्षद्वार स्वयं खुल जाए!!


स्वर्ग पाने की चाहत रखते हो...
श्री हरि शरणं!
जय श्री नारायण रमणं!!

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