दीपावली मनाने का उद्देश्य
चलो लेते है हम संकल्पइस दीपावली पर कुछ।
नही चलाएंगे अब से
फटके और आतिशबाजी।
और रोकेंगे हम मिलकर
जीव हिंसा को इस बार।
करेंगे भावों को निर्मल
और पूजेंगे ईश्वर को।।
हमारे ग्रंथो में मिलता है
दीपावली का वर्णन।
मनाते क्यों है हम सब
इस त्यौहार को मिलकर।
अलग अलग मान्यताएँ है
दीपावली को मनाने की।
जैनों के चौबीसवे तीर्थंकर
गये थे इस दिन मोक्ष।।
राक्षसो का अंत करके
जब लौटे थे जानकी श्रीराम।
तो स्वागत में अयोध्यावासीयों ने
जलाये थे उस समय दीपक।
और हिंसा पर अहिंसा का
मनाया था ये दिवस।
जिसे हम सब कहते है
दीपावली का त्यौहार।।
कुछ लोगों की मान्यताएँ है
की धन की देवी लक्ष्मीजी।
कार्तिक माह में अक्सर
गमन करती रहती है।
इसलिए उन्हें बुलाने को
घरों में जलाते है दीपक।
की रोशनी देखकर देवी
करें हमारे घर में प्रवेश।।
जिसे जो जो समझना है
उसे वो ही जाने माने।
हमें तो श्रृध्दा भक्ति का
मिलता है इस दिन मौका।
इसलिए मनाते है हम
दीपावली के त्यौहार को।
और अपने अपने धर्मानुसार
बस करते है पूजा और भक्ति।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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