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भ्रातृद्वितीया

भ्रातृद्वितीया

✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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भाई-बहन का प्यारा नाता,
प्यार भरा यह सच्चा साथा।
राखी जैसे है बंधन पावन,
भाई दूज उतना ही भावन।

दीप जले मन के आंगन में,
खुशियाँ खिलें हर जीवन में।
बहना थाली सजा के लाए,
तिलक लगाए, आरती गाए।

भाई के माथे पर चमके रोली,
मन में ममता,आँखों में बोली।
वचन भाई का सदा सँभाले,
दुख में, सुख में, हाथ न छोड़े।

माँ की मूरत है बहना प्यारी,
उसकी हँसी लगे उजियारी।
भाई दूज का यही है संदेश,
सदा बना रहे यह प्रेम विशेष।

रिश्ता है अनुपम,और अटल,
प्यार से भरा रहे, स्नेह सरल।
हर घर में हो ये पवन त्योहार,
स्वार्थ से ऊपर रहे यह प्यार।

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