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जयति जय जय मां जीण भवानी

  

जयति जय जय मां जीण भवानी 

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राष्ट्र प्राचीनतम शक्ति पीठ छवि,

आठवीं सदी दिव्य स्थापना बेला ।

मंदिर निर्माण श्रेय चौहान शासक,

जगदंबे जीण इतिहास नवेला ।

अति उत्तम हर्ष जीण जीवन गाथा,

दोउ मध्य अटूट स्नेह प्रेम रवानी ।

जयति जय जय मां जीण भवानी ।।


भाभी ननद आधिक्य चाहत बिंदु,

जीण हर्ष प्रति नाराजगी उभार ।

आगमन अरावली काजल शिखर,

उरस्थ जयंती मात उपासना धार ।

सर्वत्र जीण आदि शक्ति प्रतिष्ठा,

रज रज मातृ गौरव बखानी ।

जयति जय जय मां जीण भवानी ।।


सीकर चौहान वंश कुलदेवी प्रतिष्ठा,

सैनी गुर्जर आदि परम आराध्या ।

अद्भुत अनुपम मंदिर वैभव छटा,

मनहर आरती दर्शन प्रातः संध्या ।

नेत्र कुष्ठ व्याधि उपचारक मैया,

परिवेश अंतर चमत्कार कहानी ।

जयति जय जय मां जीण भवानी ।।


असफल मुगल कुत्सित प्रयास,

भंवर सेना संग अदम्य प्रहार ।

नतमस्तक बादशाह औरंगजेब,

अखंड ज्योत वचन साकार ।

भक्त वत्सल मां करुणा निधान,

अनंत सुख समृद्धि वर दानी ।

जयति जय जय मां जीण भवानी  ।।

कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)

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