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अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य,मां सिद्धिदात्री स्तुति से

अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य,मां सिद्धिदात्री स्तुति से 

कुमार महेन्द्र

शारदीय नवरात्र परम रूप,

सर्वत्र आस्था निष्ठा असीम ।

भक्तजन उर अति आह्लाद,

महानवमी साधना अप्रतिम ।

संपूर्ण नवरात्र एक्य सुफल,

मां सरस्वती सम उपमा भक्ति से ।

अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य,मां सिद्धिदात्री स्तुति से ।।


केहरी वाहन विराजत मैया,

छटा अद्भुत अनुपम अनूप ।

चार भुजा कर कमल श्रृंगार,

मां पराशक्ति आभा प्रतिरूप ।

साधक उपासना शीर्ष स्पर्शन,

जगत मातृ वंदना अभिव्यक्ति से ।

अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य,मां सिद्धि दात्री स्तुति से।।


गुलाबी वर्ण प्रिया मोहक छवि,

भक्तजन प्रति स्नेह विशेष ।

परिपूर्ण मनोवांछित कामनाएं,

सुख समृद्धि वैभव अधिशेष ।

भोग चना पूड़ी खीर हलवा सह,

नारियल कन्या पूजन प्रयुक्ति से ।

अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य, मां सिद्धि दात्री स्तुति से ।।


शिव शंकर अर्द्ध नारीश्वर पद,

मां दुर्गा नवम रूपा वरदान ।

ब्रह्मांड विजय संकल्प पूर्ण,

कर साधना शास्त्रीय विधान ।

भत्सल मैया आशीष अहम,

आनंद मंगल कष्ट पीड़ा मुक्ति से ।

अष्ट सिद्धि नव निधि प्राप्य, मां सिद्धि दात्री स्तुति से ।

कुमार महेन्द्र

(स्वरचित मौलिक रचना)

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