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मेरे हृदय बसो हनुमान ,

मेरे हृदय बसो हनुमान ,


गाई भजन राम नाम के ।

काॅंधे लिए लखन राम ,

गाई भजन राम नाम के ।।

हनुमत तेरा नाम प्यारा ,

भक्त कष्ट को हनते हो ।

जब राम अवतरित होते ,

तब तब तुम भी जनते हो ।।

मेरे उर मन भर दो ज्ञान ,

गाई भजन राम नाम के ।

जहाॅं तुम वहीं पे हैं राम ,

गाई भजन राम नाम के ।।

जिनको भाए राम रघुराई ,

भरत शत्रुघ्न लखन भाई ।

जैसी माता थीं कौशल्या ,

वैसी सुमित्रा कैकेई माई ।।

धन्य पिता पवन कहलाए ,

गाई भजन राम नाम के ।

कोटि वंदन माॅं बहन भाई के ,

गाई भजन राम नाम के ।।




पूर्णतः मौलिक एवं

अप्रकाशित रचना

अरुण दिव्यांश

छपरा ( सारण )

बिहार ।

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