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२०-२१ दिसम्बर को आहूत होगा साहित्य सम्मेलन का ४४वाँ महाधिवेशन

२०-२१ दिसम्बर को आहूत होगा साहित्य सम्मेलन का ४४वाँ महाधिवेशन

  • पाँच सौ प्रतिनिधि साहित्यकार लेंगे भाग, नामित अलंकरणों से विभूषित होंगे अनेक, होगा विराट कवि-सम्मेलन

पटना, 29 अक्टूबर । अपनी स्थापना के 107 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 44वाँ महाधिवेशन आगामी 20-21 दिसम्बर को, सम्मेलन-सभागार में आयोजित होगा। मंगलवार की संध्या संपन्न हुई सम्मेलन की कार्य समिति की बैठक में तिथि निर्धारित कर दी गयी। साहित्यकारों के इस महाकुंभ में पाँच सौ प्रतिनिधियों के निबन्धन का लक्ष्य रखा गया है। दो दिनों के इस महोत्सव में हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन पर गम्भीर विमर्श होंगे, जिसके लिए 6 वैचारिक-सत्र आयोजित किए जाएँगे। विदुषी लेखिकाओं और विद्वान साहित्यकारों को नामित अलंकरणों से विभूषित किया जाएगा तथा एक विराट राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन भी संपन्न होगा। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ को, महाधिवेशन की स्वागत समिति, विषय-निर्वाचिनी-समिति तथा प्रबंध समिति सहित सभी उपसमितियों के गठन हेतु अधिकृत किया गया है।

सम्मेलन अध्यक्ष के अनुसार 20 दिसम्बर को पूर्वाहन 10-30 बजे महाधिवेशन का उद्घाटन-सत्र आरम्भ होगा। प्रति दिन तीन वैचारिक-सत्र आहूत होंगे। प्रथम दिन की संध्या में सम्मेलन के कला-विभाग की ओर से अतिथियों एवं प्रतिनिधियों के स्वागत में सांस्कृतिक उत्सव आयोजित होगा, जिसमें साहित्यिक काव्य-रचनाओं पर आधारित प्रस्तुतियाँ और बिहार की सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्ति होगी। वैचारिक-सत्रों के विषय और उन पर व्याख्यान के लिए विदुषियों और विद्वानों के नाम भी शीघ्र ही निश्चित कर लिए जाएँगे।

डा सुलभ ने बताया है कि नामित अलंकरणों से विभूषित किए जाने वाले विद्वानों और विदुषियों के चयन हेतु, 30 नवम्बर तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गयी हैं। सम्मेलन से संबद्ध ज़िला साहित्य सम्मेलनों से आग्रह किया गया है कि वे जीवन-वृत्त के साथ हिन्दी-सेवियों की अनुशंसाएँ तथा महाधिवेशन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की सूची भी प्रेषित कर दें।
बैठक में सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, साहित्यमंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी, अर्थमंत्री कुमार अनुपम, पुस्तकालयमंत्री ईं अशोक कुमार, संगठन मंत्री डा शालिनी पाण्डेय, प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह, शमा कौसर 'शमा', श्याम बिहारी प्रभाकर, चित्तरंजन लाल भारती, लता प्रासर, चंदा मिश्र आदि सम्मेलन के अधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे।
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