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दादा दादी

दादा दादी

सत्येन्द्र कुमार पाठक

दादा-दादी, ज्ञान के सागर

आज दिवस है वृद्धजनों का,

पर्व है यह सम्मान का।

कहा पाठक ने सत्य ही,

वृद्धजन हैं परिवर्तन के।

डुग्गु पूछे बात यह,

क्यों वे हैं सशक्त माध्यम?

अंशिका ने समझाया,

उनका अनुभव अमूल्य धन।

शशांक देखे आँख भर,

क्या दादी के पास सुपरपॉवर?

हाँ! उनकी हर इक कहानी,

देती जीवन की मधुर डगर।

पुच्चु पुच्ची प्यार पाएँ,

दादाजी जब पास बुलाएँ।

उनका धीरज, उनका ज्ञान,

घर को गरिमा दे पाएँ।

वे न केवल स्तम्भ हैं,

परिवार की वे जड़ महान।

सुनें उनकी हर बात को,

दे सम्मान, रखें उनकी शान।

आयु-भेदभाव मिटाएँगे,

प्यार का दीप जलाएँगे।

वृद्धजनों को साथ ले,

समावेशी राष्ट्र बनाएँगे।

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