दादा दादी
सत्येन्द्र कुमार पाठकदादा-दादी, ज्ञान के सागर
आज दिवस है वृद्धजनों का,
पर्व है यह सम्मान का।
कहा पाठक ने सत्य ही,
वृद्धजन हैं परिवर्तन के।
डुग्गु पूछे बात यह,
क्यों वे हैं सशक्त माध्यम?
अंशिका ने समझाया,
उनका अनुभव अमूल्य धन।
शशांक देखे आँख भर,
क्या दादी के पास सुपरपॉवर?
हाँ! उनकी हर इक कहानी,
देती जीवन की मधुर डगर।
पुच्चु पुच्ची प्यार पाएँ,
दादाजी जब पास बुलाएँ।
उनका धीरज, उनका ज्ञान,
घर को गरिमा दे पाएँ।
वे न केवल स्तम्भ हैं,
परिवार की वे जड़ महान।
सुनें उनकी हर बात को,
दे सम्मान, रखें उनकी शान।
आयु-भेदभाव मिटाएँगे,
प्यार का दीप जलाएँगे।
वृद्धजनों को साथ ले,
समावेशी राष्ट्र बनाएँगे।
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com