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"वृद्धजन परिवर्तन के सशक्त माध्यम"

"वृद्धजन परिवर्तन के सशक्त माध्यम"

जहानाबाद । अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर, सुप्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने 01 अक्टूबर को वृद्धजनों के महत्व पर प्रकाश डाला और उन्हें परिवारों तथा सामाजिक संरचना का अनिवार्य स्तम्भ बताया। इस वर्ष के विषय - "वृद्धजन परिवर्तन के सशक्त माध्यम" - की महत्ता पर जोर देते हुए, उन्होंने वैश्विक स्तर पर बढ़ती वृद्ध आबादी के प्रति नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया। पाठक ने अपने संबोधन में कहा, "जनसंख्या वृद्धावस्था एक सार्वभौमिक घटना है। वस्तुतः दुनिया का हर देश अपनी जनसंख्या में वृद्ध व्यक्तियों के आकार और अनुपात दोनों में वृद्धि का अनुभव कर रहा है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल एक जनसांख्यिकीय बदलाव नहीं है, बल्कि एक ऐसा परिवर्तन है जिसमें वृद्धजन स्वयं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वृद्धजन निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं हैं, बल्कि वे परिवर्तन के सशक्त माध्यम हैं जिनमें समाज को बेहतर बनाने की शक्ति निहित है। वृद्धजन दिवस के इस विशेष अवसर पर, पाठक ने सामाजिक और नीतिगत परिदृश्य में वृद्धजनों की आवाज़ को सुनने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "जैसा कि इस वर्ष का विषय हमें याद दिलाता है, वृद्धजन परिवर्तन के सशक्त माध्यम हैं। नीतियों को आकार देने, आयु-भेदभाव को समाप्त करने और समावेशी समाजों के निर्माण में उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए।" उनका यह बयान एक मजबूत अपील थी कि वृद्धजनों के अनुभव, ज्ञान और दृष्टिकोण को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के केंद्र में रखा जाए।

समाज में आयु-भेदभाव को एक गंभीर बाधा बताते हुए, साहित्यकार पाठक ने इस तरह के पूर्वाग्रहों को जड़ से खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समावेशी समाज का निर्माण तभी संभव है जब हर आयु वर्ग, विशेष रूप से वृद्धजनों को सम्मान और सक्रिय भागीदारी का मौका मिले। वृद्धजन अपने जीवन के अनुभवों से प्राप्त अमूल्य ज्ञान और बुद्धिमत्ता के साथ समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, चाहे वह mentorship के रूप में हो, सामुदायिक कार्यों में हो या पारिवारिक मार्गदर्शन में।इतिहासकार पाठक ने आगे कहा कि सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों की यह जिम्मेदारी है कि वे एक ऐसा वातावरण तैयार करें जो वृद्धजनों को स्वस्थ, सुरक्षित और गरिमापूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाए। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं, वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक भागीदारी के क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की मांग की।

सत्येन्द्र कुमार पाठक ने समाज से आह्वान किया कि वे वृद्धजनों को बोझ न समझें, बल्कि उन्हें अपनी समृद्धि और ज्ञान का भंडार मानें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वृद्धजनों की सक्रिय भागीदारी और सम्मान ही किसी भी मजबूत और प्रगतिशील राष्ट्र की पहचान होती है। उनका यह संदेश वृद्धजनों के प्रति सम्मान और उनके अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता को मजबूती से स्थापित करता है।

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