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दुर्गा विसर्जन

दुर्गा विसर्जन

   जय प्रकाश कुवंर
माई नैहर आइल रहली, 
आज ससुराल लौट ज‌इहें। 
नौ दिन खुशी दिहली सबका के, 
आज सबलोग के रुल‌इहें।। 
हाथी चढ़ के आइल रहली, 
डोली में चढ़ के ज‌इहें। 
अपना संतानों के खुशी खातिर, 
अगला वरष फिर अइहें।। 
नौ दिन माँ मायका में रहली, 
आज दशमी बिदाई के दिन आ‌इल। 
डोली चढ़ माँ ससुराल चलली, 
कैलाश पर्वत नियराइल।। 
वस्त्र, श्रृंगार पहना माता के, 
अन्न खोंइछा में दियाई। 
डोली चढ़ जल का रास्ता से, 
ससुराल चलली दुर्गा माई।। 
नौ दिन सबे आराधना क‌इलस, 
आवत बा अब रूलाई। 
अपना घर कैलाश रहीं पर, 
भक्त जन के मत दीं भुलाई।। 
र‌उरे कृपा से जगत चलत बा, 
सब पर रहीं सहाई। 
नेह बनवले राखीं दुनिया पर, 
जय जय दुर्गा माई।। 

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