"विश्वास : रिश्तों की जीवन-रेखा"
पंकज शर्मा
रिश्तों की असली पहचान केवल शब्दों या औपचारिकताओं में नहीं छिपी होती, बल्कि उनके गहरे अंतर में बसे विश्वास में होती है। विश्वास ही वह आधार है जिस पर प्रेम, अपनापन और आत्मीयता का महल खड़ा होता है। यह मात्र एक भावनात्मक सहारा नहीं, बल्कि जीवन का वह संबल है जो मनुष्यों को एक-दूसरे से जोड़कर रखता है। जहाँ विश्वास होता है, वहाँ संवाद सहज हो जाता है, और मन को आश्वस्ति का ऐसा बल मिलता है जो किसी भी परिस्थिति में संबंधों को टूटने नहीं देता।
विश्वास रिश्तों का विस्तार करता है और उन्हें स्थायित्व प्रदान करता है। यह ऐसा दीपक है जिसकी लौ से रिश्तों का हर अंधेरा मिट जाता है। जब मन में भरोसा बना रहता है, तब दरारें भी पुल का रूप ले लेती हैं। परंतु जिस क्षण विश्वास डगमगाने लगता है, उसी क्षण निकटतम संबंध भी बोझिल और पराये से प्रतीत होने लगते हैं। अतः विश्वास को संजोकर रखना ही सच्ची मानवीयता है, क्योंकि यही वह शक्ति है जो संबंधों को शाश्वत और जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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