(राष्ट्र की अनमोल धरोहर शेखावाटी की हवेलियां
जो कुछ समय से उपेक्षित थी,अब राजस्थान सरकार के सकारात्मक प्रयासों से संरक्षण और संवर्धन की सुखद पहल हुई है । इसी की स्तुति में कुछ पंक्तियां सादर निवेदित हैं __)
फिर से मुस्कराने लगीं,शेखावाटी की हवेलियां
************************************पुलकित प्रफुल्लित परा विरासत,
मरणासन्न अंतर नव जीवन ज्योत ।
रग रग अथाह हर्ष उल्लास उमंग,
जन प्रतिक्रिया उत्सव ओतप्रोत ।
विलुप्त भू कारोबारी गिद्ध दृष्टि,
अस्त मृग मरीचिकी पहेलियां ।
फिर से मुस्कराने लगीं,शेखावाटी की हवेलियां ।।
हर हवेली दीवार इतिहास पैनोरमा,
अद्भुत अनुपम मनहर भित्ति चित्र ।
आकर्षक प्रेरणास्पद कला शैली,
सहज सरस प्रस्तुति विगत चरित्र ।
निहार विहार भव्य प्रांगण प्रकोष्ठ,
ज्ञान प्रज्ञान पुरातन रंग रेलियां ।
फिर से मुस्कराने लगीं,शेखावाटी की हवेलियां ।।
शुभ मंगल प्रयास राज्य तंत्र,
धरोहर उपमा ओजस्वी कदम ।
अंकुश क्रय विक्रय परिवर्तन,
नियंत्रण कुत्सित प्रयास छद्म ।
संरक्षण हित उत्तम कार्य योजना,
पर्यटन क्षेत्र श्रृंगार सम दुल्हनियां ।
फिर से मुस्कराने लगीं,शेखावाटी की हवेलियां ।।
नवलगढ़ मंडावा बिसाऊ सह,
फतेहपुर हवेलियां अति मोहक ।
अविस्मरणीय शिल्प कला सौष्ठव,
प्राचीन जीवन प्रस्तुति सोहक ।
कामना यशस्वी खुली कला दीर्घा भविष्य,
अप्रतिम लोक राग रंग अठखेलियां ।
फिर से मुस्कराने लगीं,शेखावाटी की हवेलियां ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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