वीर तेजाजी महाराज,गौ रक्षा के सिरमौर
प्रेरणा पुंज व्यक्तित्व कृतित्व,
शिव शंकर ग्यारहवें अवतार ।
अवतरण बिंदु खरनाल नागौर ,
उर अविरल साहस शौर्य धार ।
शोषित पीड़ित निर्धन किसान हित,
सदा बुलंद आवाज पुरजोर ।
वीर तेजाजी महाराज,गौ रक्षा के सिरमौर ।।
मात पिता ताहर जी रामकुंवरी ,
भार्या पेमल भगिनी राजल।
प्राण प्रिय घोड़ी लीलण,
सदा विरुद्ध धर्म जाति काजल ।
राजस्थान छह सिद्धों अंतर गिनती,
हर कदम अग्र मानवता उत्थान ओर ।
वीर तेजाजी महाराज,गौ रक्षा के सिरमौर ।।
बहन ससुराल गमन बेला,
अवगत लाछा गुर्जरी गौ चोरी ।
गौ खोज हेतु जंगल प्रस्थान ,
भासक नाग बना राह रोड़ी ।
विनय प्रार्थना सर्प समक्ष ,
पुनः मिलन वचन दृढ़ प्रतिज्ञा छोर ।
वीर तेजाजी महाराज,गौ रक्षा के सिरमौर ।।
घोर मुठभेड़ डाकुओं संग,
गौ मुक्ति अथक प्रयास ।
तत्पश्चात भासक सम्मुख,
नाग असहमत दर्श घायल दास ।
अंत जिह्हा बिंदु दंश सहन,
तेजल शोभित लोक आस्था ठोर ।
वीर तेजाजी महाराज,गौ रक्षा के सिरमौर ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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