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ब्राह्मण के नौ गुण

ब्राह्मण के नौ गुण

रचना.....डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
क्यों सारी दुनिया निज श्रद्धा से,

ब्राह्मण को वंदन करती है?

क्या खास है उस आत्मा में,

जो गुणों से जीवन भरती है?




प्रश्न उठा जब राम सजीवन,

परशुराम से कहा विनय में।

देव, धनुष है गुण हमारा,

पर नवगुण हैं आपके अंतर्मन में।"




नवगुण जो ब्राह्मण धारे,

वेद-धरा उन पर बलिहारे।




1. सरल हृदय हो - रिजु कहाए,

2. तप से तन-मन दीप जलाए।

3. संतोषी जो भाग्य में जीए,

4. क्षमा करे, न द्वेष में पीए।

5. जिनकी इंद्रियाँ हो वश में,

6. दान करें सदा हर दशा में।

7. शूरवीर हो, अन्याय मिटाए,

8. दया से जग को प्रेम सिखाए।

9. ब्रह्मज्ञानी, ज्ञान स्वरूप,

ध्यान-निष्ठ, तप के अनुरूप।

यह ब्राह्मण की सच्ची पहचान,

जिस पर करे सृष्टि सम्मान।




गीता भी गुण यही बताती,

कर्म से उसकी जाति बनाती—




शमो दमस्तपः शौचं

क्षान्तिर्आर्जवमेव च।

ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं

ब्रह्मकर्म स्वभावजम्॥"




मन का शांत विवेक हो जिसमें,

इंद्रियों पर राज करे।

धर्म हेतु जो ताप सहे,

शुद्ध विचारों से साज करे।




क्षमा, सरलता, ज्ञान-विज्ञान,

आस्तिकता में हो पहचान।

ऐसा हो जो आत्मिक मानव,

वही ब्राह्मण, वही महान।

🙏🙏

🔱 नवगुणी ब्राह्मण को नमन 🔱

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