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स्वामी हरिनारायण नन्द की 94वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन

स्वामी हरिनारायण नन्द की 94वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन

पटना, 29 सितम्बर। बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के सभागार में मंगलवार को प्रख्यात शिक्षाविद्, समाज सुधारक एवं राष्ट्रप्रेमी ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायण नन्द जी की 94वीं जयंती धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी जगत नारायण शर्मा ने की।

स्वामी हरिनारायण नन्द जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा, सामाजिक उत्थान और राष्ट्र सेवा को समर्पित कर दिया था। वे केवल संत ही नहीं, बल्कि एक कर्मयोगी भी थे, जिन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने और युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के कार्यों से जोड़ने का सतत प्रयास किया।
स्वामी हरिनारायण नन्द का जीवन परिचय

स्वामी हरिनारायण नन्द जी का जन्म बिहार की पावन धरती पर हुआ था। प्रारम्भ से ही उनका रुझान आध्यात्मिकता और शिक्षा की ओर रहा। उन्होंने संस्कृत, दर्शन और वेद-वेदांगों की गहन शिक्षा प्राप्त की और समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संकल्प लिया।
उन्होंने शिक्षा को ही समाज और राष्ट्र उत्थान का सबसे बड़ा साधन माना। इसी विचारधारा के तहत उन्होंने ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा प्रसार के लिए अनेक प्रयास किए। साथ ही वे सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास और अशिक्षा के विरोधी थे।

स्वामी जी ने राष्ट्र के प्रति युवाओं को प्रेरित करने के लिए अनेक आंदोलनों और जागरूकता अभियानों का नेतृत्व किया। उनका मानना था कि “शिक्षित और संस्कारित युवा ही भारत को विश्वगुरु के पद पर पुनः प्रतिष्ठित कर सकते हैं।”
उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज को दिशा देती हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।
कार्यक्रम का आयोजन

अध्यक्षीय संबोधन में जगत नारायण शर्मा ने कहा कि – “स्वामी जी ने अपने आदर्शों और तप के बल पर शिक्षा, राजनीति और समाज सुधार के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी जयंती हमें उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।”

इस अवसर पर देवेश शर्मा, देव कुमार, विशाल कुमार, अभिषेक कुमार, परमानन्द शर्मा, कौशल जी, रौशन कुमार, रोहित कुमार, अधिवक्ता राहुल और गणेश शर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। सभी ने स्वामी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह भी कहा कि स्वामी जी का जीवन दर्शन आज के समाज के लिए मार्गदर्शक है। वे शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार मानते थे। साथ ही उन्होंने युवाओं को चरित्र निर्माण, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रप्रेम की राह पर चलने की प्रेरणा दी।

समारोह के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। धन्यवाद ज्ञापन परमानन्द शर्मा ने किया।

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