हे भोले भंडारी
डॉ उषाकिरण श्रीवास्तवहे भोले भंडारी तोहर
लीला अपरम्पार हए,
तूअबिनासी घट-घट के बासी
तोहर महिमा अगम अपार हए।
तू कैलास बिराजे भोले नाथ
तोहर जटा में गंगा धार हए,
तीनों लोक के तू हता मालिक
तू समदर्सी त्रिकाल हए ।
तू त्रिसूल आ डमरू धारी
करइछा बसहा बैल सबारी,
सब देओता के देओ महादेओ
तू कालों के महाकाल हए ।
श्रद्धा-भक्ति से जे कोनो ध्याबे
ओक्कर बेरा पार हए,
सब संकट में प्रान परे तऽ
बस ओम नमः सिबाय हए।
हे भोले भंडारी तोहर
लीला अपरम्पार है ।
डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव,
मुजफ्फरपुर
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