अब तो आन मिलो सजना
अद्भुत अनुपम मधुर बेला,प्रणय हाव भाव चरम बिंदु ।
वंदन परिणय भाल प्रतिष्ठा,
तन मन समागम सुधा सिंधु ।
ज्ञान प्रज्ञान नैसर्गिक उपमा,
स्वप्न लड़ियां यथार्थ व्यंजना ।
अब तो आन मिलो सजना ।।
अंग प्रत्यंग यौवन उभार,
संपूर्ण स्पर्श अभिलाष ।
गमन संकल्प जीवन पथ,
हर पल मनोरमा परिभाष ।
नवल धवल आशा उमंग,
तृषा तृप्ति उन्मुख ललना ।
अब तो आन मिलो सजना ।।
प्रणय पथिक मनोरमा अद्भुत,
सहर्ष तत्पर गमन संग संग ।
रग रग जोश उत्साह अपार,
परस्पर मुस्कान जीवन कंग ।
सुषुप्त भाव चैतन्य पटल,
संवाद स्पंदन निजता पलना ।
अब तो आन मिलो सजना ।।
सोलह श्रृंगार मोहक सोहक,
अंतःकरण सुमंगल पावन ।
पुरुषार्थ वेदी अथाह चमक,
सेज सुरभित प्रसून बिछावन ।
श्री गणेश जीवन अनूप अध्याय,
भाव भंगिमा अति आनंद रंजना ।
अब तो आन मिलो सजना ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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