त्रिकालदर्शी शिव महादानी
नीलकंठ महादेव प्रलयंकर,तांडव नृत्य महा भयंकर।
नाच रहे हैं नटराज शंकर,
डमडम डमरू बाजे हर हर।
त्रिनेत्र है त्रिशूल धारी बाबा,
त्रिकालदर्शी शिव महादानी।
छम छम चिमटा बाज रहा है,
धूनी रमाए शिव औघड़ दानी।
जल थल व्योम चहूं दिशा में,
ओमकार का गूंजे घननाद।
हर हर महादेव शिवशंकर,
भाग रहे सब विषम विषाद।
अद्भुत लीला अलौकिक,
विश्वनाथ शंभु कैलाशी।
भूतनाथ महाकाल भोले,
सदाशिव घट घटवासी।
तांडव करे सदाशिवशंकर,
आदिदेव देवों के देव।
सकल जगत कर्ता भोले,
बाबा औघड़ दानी महादेव।
सृष्टि में संहारक भोले,
कृपा सिंधु है दया धारी।
गले सर्प की माला सोहे,
शीश चंद्र शिव गंग धारी।
भंग पी बाबा मतवाले,
भक्तों के शिव रखवाले।
भस्म रमाएं ध्यान लगाए,
अविनाशी भूरी जटा वाले।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान रचना स्वरचित व मौलिक है
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