स्वाधीनता दिवस
क्रांतिकारियों के कुर्बानी को ,
कैसे भूल सकते हैं हम ।
स्वाधीनता हेतु झूले थे फाॅंसी ,
वैसे ही फाॅंसी झूल सकते हैं हम ।।
क्रांतिकारियों ने कुर्बानी दी है ,
ईश्वर ने हमको जवानी दी है ।
माॅं सरस्वती ने दी हमें वाणी ,
माॅं भारती ने तन में पानी दी है ।।
स्वाधीनता हेतु ही तो जीना है ,
स्वाधीनता हेतु ही तो मरना है ।
जीवन ही है स्वाधीनता हेतु ,
फिर मरने से हमें क्यूॅं डरना है ।।
आजाद ने हमें आजाद कराया ,
संग में खुद ही राम बोस थे ।
सुभाषित हुआ था जहाॅं चन्द्र ,
सुभाषचंद्र बोस में बड़े जोश थे ।।
त्याग नहीं सकते उनके पथ को ,
उनका आज भी हम पे कर्ज है ।
खोने न देंगे ये स्वाधीनता दिवस ,
इस हेतु फाॅंसी भी झूलना फर्ज है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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