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मौत से डर क्यों

मौत से डर क्यों

घर का महौल हंसी खुशी का है।
सभी का स्वाभव भी अच्छा है।
न घर में कोई कलह आदि है।
बस सभी में आदर भाव है।।

आज मन बहुत विचलित है।
न कोई गम है और न दुख है।
न ही सोच में कोई अंतर है।
फिर भी न जाने क्यों उदास है।।

बैठे बैठे एक दम से आज
ऐसा कुछ हो गया।
जिसे देख घर वाले हिल गये
पर मुझे समझ नहीं आया।
देखते ही देखते घरवाले
जो खुशी से खिलखिला रहे थे।
मुझे पसीना पसीना होते देख
वो सब घबराकर देखने लगे।।

आज सत्य का एहसास हो गया
की जीवन का कोई भरोसा नहीं।
कब किस वक्त और कहाँ पर
किसी का भी बुलवा आ जाये।
जो जीना चाहता है जिंदगी को
उसे मौत से डर लगता है।
पर मौत का साया भी
उन्हें के आस पास डोलता है।।

लोग अक्सर कहते रहते है
बैठकर अपनो के साथ।
जो आया है उसे जाना है
फिर क्यों इससे घबराना है।
कहने और सुनने में तो
बहुत अच्छा लगता है।
पर सच में मौत से तो
उन्हें भी डर लगता है।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई

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