जीविका के सतत् जीविकोपार्जन मॉडल से सीख लेगा केन्या

- “गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण में बिहार का अनुभव बनेगा वैश्विक उदाहरण”
पटना, 21 अगस्त।
बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना “सतत जीविकोपार्जन योजना” (एसजेवाई) आज राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक सफल मॉडल के रूप में उभर रही है। इसी क्रम में केन्या सरकार का 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बिहार के नालंदा जिले के इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज (ILE) कार्यक्रम के अंतर्गत भ्रमण पर पहुँचा। भ्रमण के बाद प्रतिनिधिमंडल और बिहार सरकार के बीच पटना सचिवालय में डिब्रीफिंग सत्र का आयोजन हुआ, जहाँ इस योजना के परिणाम और वैश्विक महत्व पर चर्चा हुई।

सत्र का शुभारंभ
सत्र की शुरुआत जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रीमती अभिलाषा कुमारी शर्मा ने स्वागत संबोधन से की। तत्पश्चात जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री हिमांशु शर्मा ने सतत जीविकोपार्जन योजना की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार यह योजना बिहार में गरीबी उन्मूलन और आजीविका संवर्धन के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है।
केन्या प्रतिनिधिमंडल का अनुभव
तवेता काउंटी सरकार (केन्या) के गवर्नर श्री एंड्रयू मवादिमे ने इस अवसर पर कहा कि बिहार की सतत जीविकोपार्जन योजना न केवल गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि समाज के कमजोर तबके में आत्मविश्वास भी भर रही है। उन्होंने कहा—
“बिहार सरकार की प्रतिबद्धता और योजना के प्रभाव को देखकर हम प्रभावित हैं। यह मॉडल हमारे देश में भी गरीबी उन्मूलन के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। हम इसे अपनी सरकार के माध्यम से लागू करने का प्रयास करेंगे।”
बिहार सरकार के अधिकारियों का वक्तव्य
ग्रामीण विकास विभाग, बिहार के सचिव श्री लोकेश कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस योजना ने अब तक लाखों गरीब परिवारों का जीवन बदल दिया है। यह गर्व की बात है कि आज केन्या जैसे मित्र राष्ट्र हमारे अनुभव से प्रेरणा ले रहे हैं।
मुख्य सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने 2018 में शुरू हुई सतत जीविकोपार्जन योजना की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब तक 2.1 लाख गरीब परिवार इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि—
“गरीब परिवारों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है। महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में बिहार सरकार ने ‘जीविका निधि’ नामक सहकारी संघ का गठन किया है। इस पहल से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सीधी आर्थिक मदद मिलेगी।”
वैश्विक महत्व
श्री मीणा ने यह भी कहा कि बिहार का यह अनुभव केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गरीबी उन्मूलन का रास्ता दिखाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्या के सामुदायिक पेशेवर भी बिहार आकर यहाँ के कार्य मॉडल को देख और सीख सकते हैं।
धन्यवाद ज्ञापन
सत्र के समापन पर जीविका के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री राजेश कुमार ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत और केन्या, दोनों देश मिलकर इस योजना से जुड़कर गरीबी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
ILE कार्यक्रम की खासियत
गौरतलब है कि इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज (ILE) कार्यक्रम जीविका, BRAC इंटरनेशनल और बंधन कोण नगर के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों और भारत के अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों को सतत जीविकोपार्जन योजना के क्रियान्वयन, प्रक्रिया और प्रभाव को समझने का अवसर देना है।
अब तक इस कार्यक्रम के तहत इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया और श्रीलंका के प्रतिनिधि बिहार आकर इस मॉडल को देख चुके हैं। नालंदा जिले के इमर्शन एंड लर्निंग सेंटर ने इस क्षेत्र को वैश्विक पटल पर विशिष्ट पहचान दिलाई है।
बिहार की सतत जीविकोपार्जन योजना अब “बिहार से भारत और भारत से विश्व” तक फैलती एक ऐसी पहल बन गई है जो गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। केन्या का यह अनुभव न केवल द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक स्तर पर गरीबी मिटाने के लिए एक ठोस मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।
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