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स्वातंत्र्य संग्राम में बिहार के समाचार पत्र और पत्रकारों की भूमिका

स्वातंत्र्य संग्राम में बिहार के समाचार पत्र और पत्रकारों की भूमिका

सत्येन्द्र कुमार पाठक
बिहार के स्वतंत्रता संग्राम में समाचार पत्रों, पत्रकारों और साहित्यकारों ने एक महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से जनता में राष्ट्रीय चेतना, राजनीतिक जागरूकता और देशभक्ति की भावना को जगाया।
सर्च लाइट (Searchlight): पटना से प्रकाशित होने वाला यह अंग्रेजी समाचार पत्र स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ था। इसने ब्रिटिश सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की और राष्ट्रीय आंदोलनों, जैसे असहयोग और भारत छोड़ो आंदोलन, की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित कीं। इसका हिंदी संस्करण 'प्रदीप' भी काफी लोकप्रिय था।
द इंडियन नेशन (The Indian Nation): दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह द्वारा स्थापित यह पत्र भी अंग्रेजी में प्रकाशित होता था और इसने राष्ट्रीय आंदोलन को समर्थन दिया।आर्यावर्त (Aryavarta): 'द इंडियन नेशन' का हिंदी संस्करण 'आर्यावर्त' था, जिसने हिंदी भाषी जनता के बीच स्वतंत्रता के संदेश को फैलाया।देश (Desh): डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा शुरू किया गया यह साप्ताहिक पत्र गांधीवादी विचारों का प्रचार करता था और ग्रामीण जनता को आंदोलन से जोड़ने में सहायक था।बिहार टाइम्स (Bihar Times): यह एक महत्वपूर्ण पत्र था जिसने बिहार को बंगाल से अलग एक स्वतंत्र राज्य बनाने की मांग को मजबूती से उठाया। इसके संस्थापकों में महेश नारायण और सच्चिदानंद सिन्हा जैसे प्रमुख व्यक्ति थे। बिहार बंधु (Bihar Bandhu): 1874 में पटना से प्रकाशित यह बिहार का पहला हिंदी समाचार पत्र था। इसने हिंदी भाषी पाठकों को शिक्षित करने और उनमें जागरूकता फैलाने का काम किया।मदरलैंड (Motherland): मजहरुल हक द्वारा सदाकत आश्रम से शुरू किया गया यह अखबार राष्ट्रीय भावना और हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रकाशित हुआ था।सदा-ए-आम (Sada-e-Aam): यह पटना से प्रकाशित होने वाला एक प्रमुख उर्दू अखबार था जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हुंकार (Hunkar): यह एक क्रांतिकारी पत्र था जिसका संपादन स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किया था। इसने किसानों और मजदूरों के अधिकारों की आवाज उठाई और उन्हें संगठित करने का काम किया।डॉ. राजेंद्र प्रसाद: वे न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक कुशल लेखक और पत्रकार भी थे। उन्होंने अपनी पत्रिका 'देश' के माध्यम से गांधीवादी सिद्धांतों और स्वतंत्रता संग्राम के उद्देश्यों का प्रचार किया। चिनगारी के संपादक किसान नेता पंडित यदुनंदन शर्मा थे ।
महेश नारायण: वे 'बिहार टाइम्स' के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे और उन्होंने बिहार के लिए एक अलग राज्य की मांग को मजबूती से रखा।सच्चिदानंद सिन्हा: वे 'बिहार टाइम्स' और बाद में 'सर्च लाइट' से जुड़े रहे। वे बिहार के एक प्रमुख राजनेता और पत्रकार थे, जिन्होंने अपने लेखों के माध्यम से राष्ट्रीय आंदोलन को समर्थन दिया।
सैयद हैदर हुसैन: 'सर्च लाइट' के पहले संपादक के रूप में, उन्होंने ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ बेबाकी से लिखा।मुरली मनोहर प्रसाद: उन्होंने 'सर्च लाइट' के संपादक के रूप में लंबे समय तक कार्य किया औरएक सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी विचारों को जनता तक पहुंचाया।
रामवृक्ष बेनीपुरी: वे एक महान साहित्यकार और पत्रकार थे जिन्होंने अपनी कलम से क्रांति की मशाल जलाई। उनकी रचनाओं ने देशभक्ति की भावना को बढ़ावा दिया। उन्होंने 'योगी' और 'जनता' जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
रामधारी सिंह 'दिनकर': 'राष्ट्रकवि' के नाम से प्रसिद्ध, दिनकर की कविताएं वीर रस से भरी थीं और उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय चेतना और देशभक्ति का संचार किया। उनकी रचनाएँ, जैसे 'हुंकार' और 'कुरुक्षेत्र', आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।राजा राधिका रमण सिंह: वे एक देशभक्त साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया।बाबू महेश्वर प्रसाद: 'सर्च लाइट' के संस्थापकों में से एक, इन्होंने भी अपनी लेखनी से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जन-जागृति फैलाई।इन सभी समाचार पत्रों, पत्रकारों और साहित्यकारों ने बिहार में स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और इसे जन-आंदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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