सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं साहित्यकार : डॉ oमेहता नगेंद्र सिंह

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के क्षेत्र में पर्यावरणविद् बनकर भारत की अनुपम सेवा करने में सक्षम हैं _हमारे प्यारे डॉ oमेहता नगेंद्र सिंह ।पर्यावरण का क्षेत्र हो अथवा साहित्य का क्षेत्र आप दोनों में निपुण हैं ।यही कारण है कि मेहता जी लोकप्रिय हैं ।इनकी ख्याति देश-विदेश में फैली हुई है ।इनका जन्म ग्राम _मानगढ़ जिला _मुंगेर( बिहार) में 22 जुलाई 1940 को हुआ। इनके पिता स्वर्गीय मेहता रामचरण सिंह थे ,जो स्वतंत्रता सेनानी थे ।इनकी शैक्षणिक योग्यता एमoएससी o(भू_ विज्ञान) पीएच _डी o(भू _विज्ञान )रिमोट सेंसिंग तकनीक आधारित शोध_ कार्य एवं पर्यावरण साहित्य में डीo लिट ् (मानद) है ।आप भू_ वैज्ञानिक रक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार में सेवा किए ।आप भू _तत्व विभाग में उपनिदेशक पद पर बिहार सरकार में आसीन रहे। आपका योगदान प्राकृतिक संसाधन विभाग बिहार सरकार में निदेशक प्रभारी पद पर रहा। आपका योगदान खान एवं भू_ तत्व विभाग बिहार सरकार में बतौर भू _वैज्ञानिक के रूप में रहा ।आप बिहार राज्य योजना पर्षद ,बिहार सरकार में बतौर निदेशक प्रभारी ( प्राकृतिक संसाधन) में रहे ।आप बिहार द्वितीय सिंचाई आयोग, बिहार सरकार में बतौर तकनीकी सदस्य रहे ।आपका यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (शिक्षा _मंत्रालय) भारत सरकार के माध्यम से दक्षिण भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय में पर्यावरण _शिक्षा का सूत्रीकरण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में भागीदारी रही ,जिसकी सराहना की गयी ।आपने अतिथि व्याख्याता के रूप में नालंदा खुला विश्वविद्यालय (पर्यावरण _अध्ययन )में लगभग 10 वर्ष का शिक्षण कार्य किया। आपकी भागीदारी वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार में पर्यावरण शब्दकोष में रही ।आपकी पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में प्रारंभिक उन्नयन एवं विकास कार्य (1970 _75) में विशेष भागीदारी रही ।आपके द्वारा पटना शहर के विभिन्न पार्कों और परिसरों जैसे _बिहार ग्रंथ अकादमी, प्रेमचंद रंगशाला, दूरदर्शन केंद्र, बिहार राष्ट्रभाषा परिसर, ए एन सिंहा संस्थान, सैदपुर एवं अन्य शैक्षणिक परिसरों में वृक्षारोपण का कार्य करवाया ।मेहता जी पर्यावरण विषयक संगोष्ठियों, सेमिनारों और सम्मेलनों में हमेशा सक्रिय रहते थे।
डॉo मेहता नगेंद्र सिंह का साहित्य के क्षेत्र में अहम भूमिका रही । आपने नालंदा खुला विश्वविद्यालय ,पटना (बिहार) की स्नातकोत्तर कक्षा में (पर्यावरण_ विज्ञान ) के कई पाठ्यपुस्तकों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो प्रशंसनीय रहा ।पर्यावरणीय साहित्य _सृजन में आपके योगदान को हमेशा स्मरण किया जाएगा। जैसे _पेड़ की चिंता( काव्य _संग्रह ),कल का सूरज (काव्य_ संग्रह ),हम और हमारा पर्यावरण( निबंध _संग्रह) वृक्ष ने कहा (लघुकथा_ संग्रह) बेलपत्र (गीत _ग़ज़ल_दोहा_ संग्रह )इत्यादि ।आपका संपादन के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान रहा। जैसे _कुदरत का सरगम (गीत _संग्रह ),धूप _हवा_ पानी (दोहा _संग्रह ),हरी घास पर ग़ज़लें (ग़ज़ल _संग्रह ),पृथ्वी के लिए (कहानी _संग्रह )इत्यादि। पर्यावरण _शिक्षा और जन चेतना की साहित्यिक त्रैमासिकी हरित वसुंधरा का 1994 से लगातार प्रकाशन जारी है। डॉo मेहता नगेंद्र सिंह जी की रचनाएं जैसे _आलेख,कविता ,गीत, ग़ज़ल,दोहे इत्यादि का प्रकाशन आजकल ,कुरुक्षेत्र, योजना, पर्यावरण डाइजेस्ट, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, प्रभात खबर, नवभारत टाइम्स इत्यादि पत्र_ पत्रिकाओं में होते रहती है । इसके अतिरिक्त आपका बहुमूल्य योगदान स्मारिकाओं में संपादक एवं प्रकाशक के रूप में रहा है। इस प्रकार आपका साहित्य समृद्ध व महत्वपूर्ण है। आपकी भागीदारी दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के कार्यक्रमों में भी रहती है। आपको मेलबॉर्न (ऑस्ट्रेलिया)स्थित एबीएस रेडियो स्टेशन में पर्यावरण_ साहित्य _विषयक साक्षात्कार एवं काव्य पाठ करने का अवसर 2003 में मिला ।
डॉ oमेहता नगेंद्र सिंह की पर्यावरण को दर्शाती कविता की पंक्तियां हैं _
जब धरती पर
हरीतिमा रहती है।
धरती चांद से
बेहतर लगती है ।
जलवायु परिवर्तन पर इनकी हरित_ ग़ज़ल की पंक्तियां देखें_ पेड़ काटकर धरती को,
वीरान किए!
धरती भी हो रही गर्म ,
हम क्या करें ?
सावन में भी गगन रहा, खाली-खाली।
बादल निकला बेशर्म,
हम क्या करें ?
मेहता जी को पेड़ की चिंता प्रथम काव्य_ संग्रह पर भागलपुर के समय _साहित्य द्वारा कवि मुक्तिबोध सम्मान, सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन( दिल्ली )द्वारा 2000 ईस्वी में राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान, राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा 1994_ 95 में महाकवि केदारनाथ मिश्र प्रभात सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद द्वारा 1998 _99 में साहित्य सेवा सम्मान, विश्व संवाद केंद्र ,भोपाल( मध्य प्रदेश )द्वारा वर्ष 2002 में विकास और पर्यावरण विषयक संगोष्ठी में सक्रिय भागीदारी हेतु सम्मान, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना द्वारा 2013 ईस्वी में हिंदी भाषा और साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजेंद्र प्रसाद सिंह सम्मान, विश्व पुस्तक मेला ,प्रगति मैदान (नई दिल्ली) में 2016 में राष्ट्रीय साहित्य भूषण उपाधि से अलंकरण एवं सम्मान से सम्मानित किया गया इत्यादि।आप सम्प्रति सम्बद्ध हैं। जैसे_ हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना (बिहार )का संरक्षक, सदस्य एवं अनुशासन समिति का अध्यक्ष, राजकीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर संचालित एवं कार्यरत, खासकर पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं के सलाहकार के रूप में कार्यरत, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज( उत्तर प्रदेश )के स्थायी समिति का सदस्य एवं पर्यावरण_ साहित्य प्रकोष्ठ का प्रभारी इत्यादि ।
डॉoमेहता नगेंद्र सिंह पर्यावरण वैज्ञानिक, पर्यावरणविद्, भू _गर्भ वैज्ञानिक, जल वैज्ञानिक और सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं ।इनके द्वारा पर्यावरण तथा साहित्य में किए गए कार्य सदैव अविस्मरणीय रहेंगे ।इन्होंने मुझे बताया कि वृक्ष पृथ्वी के आभूषण होते हैं। इसे लगाने से पुत्र रत्न के समान सुखद अनुभूति होती है, इसलिए पौधे अवश्य लगाना चाहिए ।ईश्वर इनकी आयु लंबी दें ,जिससे ये अपने कार्यों से भारत की सेवा करते रहें।दुर्गेश मोहन, बिहटा ,पटना (बिहार)
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