बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि पर राज्यपाल ने किया नमन, ‘भारत रत्न’ की मांग उठी

पटना, 06 जुलाई।
महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर सांसद और सामाजिक न्याय के पुरोधा बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि के अवसर पर शनिवार को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बाबूजी के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने की जोरदार मांग उठी।
राज्यपाल ने किया बाबूजी को नमन
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “बाबू जगजीवन राम भारत के उन सपूतों में से थे, जिन्होंने वंचितों और शोषितों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने सिर्फ आलोचना और विरोध में समय बर्बाद नहीं किया, बल्कि अपने कर्म से समाज को दिशा दी। उन्होंने भारतीय संस्कृति में निहित मानवता की दिव्यता को पहचाना और उसी मार्ग पर चलते हुए समाज को एकजुट करने का काम किया।”
राज्यपाल ने यह भी कहा कि यदि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को ठीक से समझते और आत्मसात करते, तो आज समाज का स्वरूप कुछ और ही होता। उन्होंने केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारक नारायण गुरु की चर्चा करते हुए बाबूजी के जीवन की तुलना करते हुए कहा कि “बाबूजी ने भी अपना सर्वस्व समाज को समर्पित कर दिया था।”
नरेन्द्र पाठक ने उठाई ‘भारत रत्न’ की मांग
कार्यक्रम के आयोजक और संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने बाबू जगजीवन राम की स्मृतियों को साझा करते हुए राज्यपाल से आग्रह किया कि बाबूजी को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की जाए। उन्होंने राज्यपाल को शॉल और पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान दिव्यांग बच्चों ने पौधा भेंट कर राज्यपाल का अभिनंदन किया, जो कि आयोजन का भावुक क्षण रहा।
बाबूजी का योगदान नई पीढ़ी तक पहुंचे – प्रो. एस.पी. सिंह
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं डीन प्रो. एस.पी. सिंह ने कहा कि “नई पीढ़ी आज भी बाबूजी के वास्तविक योगदान से वंचित है। बिहार विभूतियों की भूमि रही है और बाबूजी उनमें सर्वोच्च स्थान रखते हैं। उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने का निमंत्रण पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने स्वयं दिया था। सोचिए, उस जमाने में उन्होंने किन सामाजिक चुनौतियों का सामना किया होगा।”
प्रो. सिंह ने 1928 में बाबूजी द्वारा कोलकाता में आयोजित सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि “नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वयं बाबूजी के वक्तव्य से इतने प्रभावित हुए कि उनकी प्रशंसा करते नहीं थके।”
‘बाबू बिट्स बॉबी’ बना था सुर्खियों की खबर – डॉ. गुरु प्रकाश
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. (प्रो.) गुरु प्रकाश ने कहा कि “बाबू जगजीवन राम का संसदीय कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। आपातकाल के समय जब उन्हें रोकने के लिए सरकार ने फिल्म ‘बॉबी’ को उसी दिन रिलीज कर दिया, तब भी उनके कार्यक्रम में भारी भीड़ उमड़ी। अगले दिन अखबारों की सुर्खी बनी ‘बाबू बिट्स बॉबी’। यह बताता है कि जनता में बाबूजी का कितना सम्मान था।”
उन्होंने यह भी बताया कि “1971 की भारत-पाक युद्ध में रक्षा मंत्री रहते हुए बाबूजी के अद्वितीय योगदान को उस समय के सेना प्रमुख जनरल जैकब ने अपनी पुस्तक में विशेष रूप से सराहा है और उन्हें अब तक का सर्वश्रेष्ठ रक्षा मंत्री बताया है।”
छुआछूत के खिलाफ अद्वितीय संघर्ष – प्रो. शशिकांत प्रसाद
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रो. शशिकांत प्रसाद ने कहा कि “उस दौर में जब छुआछूत समाज में गहरे पैठी थी, बाबूजी ने उस सोच के खिलाफ आवाज उठाई और अपने कार्यों के बल पर राजनीति में उच्च स्थान प्राप्त किया। वे एक ऐसे समाज के निर्माण की कल्पना करते थे जहाँ सभी को समान आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक अवसर मिलें।”
जदयू ने बताया प्रेरणास्रोत
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रत्नेश पटेल ने कहा कि “बाबूजी के विचारों से प्रेरणा लेकर हमारी पार्टी ने महादलितों, गरीबों, वंचितों को मुख्यधारा में लाने का काम किया है। आज पूरी दुनिया बिहार के इस सामाजिक बदलाव को पहचान रही है और उसका सम्मान कर रही है।”
सम्मान और सहभागिता
कार्यक्रम में प्रो. उषा सिन्हा, प्रो. दिलीप कुमार, प्रो. मधु प्रभा सिंह, मुरली मनोहर श्रीवास्तव, मनोज कुमार, नीतू सिन्हा, किरण कुमार, ललन भगत, डॉ. रजनीश कुमार, अजय कुमार त्रिवेदी समेत अनेक शिक्षाविद, समाजसेवी और बुद्धिजीवी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक फोटोग्राफी और राष्ट्रगान के साथ हुआ।
बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि पर आयोजित यह आयोजन न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि समाज में उनके विचारों को पुनः स्मरण कर, उन्हें राष्ट्रीय सम्मान देने की मांग को भी मुखर किया गया। उनके विचार और कार्य आज भी समानता, न्याय और मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
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