क्षमा
कर क्षमा और माॅंग क्षमा ,सज्जन शोभे सदा क्षमा ।
क्षमाविहीन सज्जन कहाॅं ,
क्षमाहीन को जैसे यक्ष्मा ।।
भूल चुक जो हुई मुझसे ,
कर दे मुझको तू भी क्षमा ।
हुई मेरे प्रति किसी की भूल ,
कर रहा मैं भी उसे क्षमा ।।
दे दो क्षमा और ले लो क्षमा ,
क्षमायाचना शुभ दिन है ।
कर ले आदान प्रदान क्षमा ,
प्रेम प्रगाढ़ न क्षमा बिन है ।।
दुर्जन शोभता क्षमा नहीं ,
दुर्जन होता काठ समान ।
काठ ज्यों झुक सके नहीं ,
दुर्जन भुजंग एक अरमान ।।
जिसे मिला संस्कार नहीं ,
जिसने समझा प्यार नहीं ।
प्यार दरार में फर्क न जिसे ,
प्यार कहीं व दरार कहीं ।।
क्षमा से प्यार कम न होता ,
क्षमा से प्यार नम न होता ।
क्षमा प्यार का प्रतीक यारों ,
क्षमा से प्रेम बेदम न होता ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com