मन मयूरा नाच रहा,सावन में छम छम
नभ शोभित कृष्ण घटाएं,धरा उत्संग यौवन बहार ।
रग रग नव उत्साह उमंग,
रज रज स्नेह प्रेम धार ।
ब्रह्मांड गूंज हर हर महादेव ,
भक्त श्री मुख बोल बम तड़क बम ।
मन मयूरा नाच रहा,सावन में छम छम ।।
श्रावण मास छटा अद्भुत
सर्वत्र शुभ मंगल प्रवाह ।
शिव साधना शीर्ष स्तुति,
सुख समृद्धि कृपा अथाह ।
हृदय सिंधु प्रणय हिलोर,
जन अठखेलियां दिव्य मनोरम ।
मन मयूरा नाच रहा,सावन में छम छम ।।
दृष्टि परिध हरित अनुपमा ,
स्वर्ग सम भू लोक नजारा ।
कल कल मधुर स्वर लहरी,
सरित निर्झर अमिय धारा ।
बम बम बोले उद्घोष अनूप ,
कांवड़ अनुपमा ललित प्रक्रम ।
मन मयूरा नाच रहा,सावन में छम छम ।।
परिवेश उत्संग अति मनहर,
वृक्षारोपण हित सजग प्रयास ।
पौधों संग मैत्री अनुबंध,
लोक रंग अपनत्व उजास ।
प्रकृति रक्षा संरक्षण संकल्प ,
सुखद यशस्वी भविष्य कदम ।
मन मयूरा नाच रहा,सावन में छम छम ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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