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सड़क चौड़ीकरण के लिए अब वन भूमि उपयोग करने से पहले पर्यावरण विभाग की अनुमति अनिवार्य

सड़क चौड़ीकरण के लिए अब वन भूमि उपयोग करने से पहले पर्यावरण विभाग की अनुमति अनिवार्य

पटना, 25 जुलाई।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं के तहत वन भूमि का उपयोग करने को लेकर अहम निर्णय लिया है। विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा की अध्यक्षता में पटना के अरण्य भवन में आयोजित बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सड़क निर्माण परियोजनाओं में वृक्षों की गणना और संयुक्त स्थलीय निरीक्षण का कार्य पथ निर्माण विभाग के पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत वन भूमि के गलत उपयोग के क्रम में जिन मामलों में समतुल्य गैर वन भूमि आवश्यक है। इन मामलों में पथ निर्माण विभाग की ओर से प्राथमिकता के आधार पर जरूरी समतुल्य गैर वन भूमि चिह्नित कर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।
विभिन्न एजेंसियों की ओर से राज्य में पथों के किनारे रिटेल ऑउटलेट का निर्माण किया जा रहा है। रिटेल ऑउटलेट के मालिकों को अधिसूचित सुरक्षित वन घोषित पथों के किनारे पहुंच पथ निर्माण के लिए विभाग से भी वन संरक्षण अधिनियम 80 के तहत अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होता है। पथ निर्माण विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र के बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। ऐसे सभी रिटेल ऑउटलेट की सूची पथ निर्माण विभाग से निर्गत होने वाले अनापत्ति प्रमाण-पत्र निर्गत करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों के साथ साझा की गई। इस बैठक में वन एवं पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव अभय कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (कैंपा) सुरेन्द्र सिंह, पथ निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार, बीएसआरडीसीएल के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कुमार सुमन, आरसीपीएलडब्ल्यूईए के नोडल पदाधिकारी अंजनी कुमार समेत कई वरीय पदाधिकारी भी मौजूद थे।


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