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उलझन

उलझन

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तुम मुंह से कुछ बोलो या न बोलो,
तुम्हारी आँखें सब बोलती हैं।
तुम जितना छुपाना चाहो राजें,
ये तेरी सब राज खोलती हैं।।
यह दुनिया एक छलावा है,
यहाँ प्रेम केवल मन भुलावा है।।
बेहतर है लज्जा हया में ही रहना,
मुंह बंद और आंखों से भी कुछ न कहना।।
मरे दिलों को बात समझ में न आएगी,
ये आंखें जब तक पथरा न जायेंगी।।
जिस दिन यह भ्रम टूट जाएगा,
दुनिया की हकीकत समझ में आ जाएगा।। 
 जय प्रकाश कुवंर
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