कालगति
हमें दिखे या न दिखे,व्यतीत हो रहे हैं हम।
कालगति में पिसते हुए,
अतीत हो रहे हैं हम।।
हमारे कर्म और कीर्तियां,
हमारे पीछे रह जाएंगी।
हमारे बाद हमारी याद,
हमारी कीर्तियां ही दिलाएंगी।।
इस जग ने किसी से,
न कुछ लिया है, न दिया है,
सबको उसके कर्मों के अनुसार,
याद उसको किया है।।
जय प्रकाश कुवंर
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