जातसारी
जय प्रकाश कुवंरजांत पिसत बाड़ी,
मुन्नी के महतारी।
झूम झूम गावत बाड़ी,
मधुर जातसारी।।
जौ- मटर के सतुआ,
हलवाहा सब खइहें।
हर जोत खेतवन में,
हेंगा चलइहें।।
खेत जोत बोए खातिर,
होई तैयारी।।
जांत पिसत बाड़ी,
मुन्नी के महतारी।
झूम झूम गावत बाड़ी,
मधुर जातसारी।।
दउरी में राखल जौ-मटर के,
जांत में झींक लगावत बाड़ी।
पलथी मार के बैठल बाड़ी,
समेटले बाड़ी साड़ी ।।
जांत पिसत बाड़ी,
मुन्नी के महतारी।
झूम झूम गावत बाड़ी,
मधुर जातसारी।।
हथ्था पकड़ के घुमावत बाड़ी,
जांत बाटे भारी।
एने जांत के आवाज मधुर,
ओने ओतने मधुर जातसारी।।
जांत पिसत बाड़ी,
मुन्नी के महतारी।
झूम झूम गावत बाड़ी,
मधुर जातसारी।।
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