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अमलतास: एक पीली पुकार

अमलतास: एक पीली पुकार

पीले फूलों की यह वर्षा
किस ऋतु की स्मृति है?
शायद उस पल की,
जब जीवन ने पहली बार
साँस भरकर मुस्कुराना सीखा था।


अमलतास—
कोई फूल नहीं,
यह जीवन का रंग है
जिसे धरती ने ओढ़ा है
किसी सजे हुए स्वप्न की तरह।


हर डाली पर टँकी होती है
कोई भूली हुई बात,
कोई बाँझ अभिलाषा
जो अब फलवती हो चली है।


कभी यह छाँव बनकर
धूप से कहता है —
थोड़ा रुक, थोड़ा ठहर,
यहाँ कोई थक गया है अपने भीतर।


कभी यह हवा में
महक की तरह घुलकर
किसी अनकही याद को
फिर से जीवित कर देता है।


बग़ीचे में खिला नहीं,
फिर भी हर रास्ते को
नंदनवन बना देता है
अपने मौन सौंदर्य से।


अमलतास—
सिर्फ पेड़ नहीं,
यह पृथ्वी का प्रेमपत्र है
जिसे हर ऋतु बार-बार खोलती है
और पढ़ती है
बिना किसी विराम के।


. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️
 (शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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