मानवता और स्वैच्छिक सेवा का संदेश है रेड क्रॉस
जहानाबाद के साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने विश्व रेड क्रॉस दिवस के अवसर पर मानवता, सार्वभौमिकता, एकता और स्वैच्छिक सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष 8 मई को मनाया जाने वाला यह दिवस रेड क्रिसेंट आंदोलन के मूल्यों को समर्पित है। श्री पाठक ने वार्षिक थीम की प्रासंगिकता पर जोर दिया, जो बदलते सामाजिक परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाने के उद्देश्य से निर्धारित किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष, बढ़ते संघर्षों और महामारी के प्रभाव के बीच, यह दिन दुनिया भर में दयालुता का जश्न मनाने के लिए चुना गया है। उन्होंने प्रथम विश्व रेड क्रॉस दिवस, जो 8 मई, 1948 को मनाया गया था, का स्मरण किया और रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी डुनेंट की जयंती को महत्वपूर्ण बताया। नोबेल शांति पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता हेनरी डुनेंट को उनकी मानवीय भावना के लिए जाना जाता है। श्री पाठक ने आई एफ आर सी की स्थापना के दौरान हेनरी डुनेंट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों - सार्वभौमिकता, एकता, स्वैच्छिक सेवा, स्वतंत्रता, तटस्थता, निष्पक्षता और मानवता - का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सिद्धांत एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि IFRC एक स्वैच्छिक संगठन है और दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय नेटवर्क होने का गौरव रखता है। उन्होंने लोगों से पर दान करके विश्व रेड क्रॉस दिवस पर दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने में योगदान करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि केटो दानकर्ताओं को अपनी पसंद के उद्देश्य और संस्था पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है और भारतीय समाज की समस्याओं को समझने में भी मदद करता है। श्री पाठक ने कहा कि दयालुता का हर कार्य, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने वर्तमान अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों में मानवता के लिए योगदान करने, स्वैच्छिक सेवा में शामिल होने और दूसरों की मदद करने के महत्व को समझने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि रेड क्रॉस के विश्व के 191 देशों में 16 मिलियन सदस्य हैं और कलर बार्टन ने 21 मई, 1881 को अमेरिकन रेड क्रॉस की स्थापना की थी। रेड क्रॉस को तीन बार - 1917, 1944 और 1963 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। श्री पाठक ने रेड क्रॉस को संघर्ष और आपदा के प्रतीक तथा मानवीय कार्यों और सिद्धांतों का सम्मान बताया ।
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