श्रम का मौन इतिहास
वह जो धूल में गिरा —और फिर उठ खड़ा हुआ,
जैसे पृथ्वी ने उसे ही रचा हो
अपने गर्भ की तपती मिट्टी से।
जिसने आंसुओं को पीकर
होंठों पर मुस्कान उगाई,
जिसने चुपचाप सह लिया
हर कोने में उगते अंधेरे को,
और फिर भी उजाले की बात की —
कभी अपने लिए नहीं,
सिर्फ दूसरों के लिए।
वह कोई एक नहीं है,
वह एक चेहरा नहीं,
वह एक जाति, एक नाम, एक भाषा नहीं।
वह वह है,
जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं
जब दीवारें खड़ी होती हैं
और छतें सिर पर आती हैं।
उसके हाथ में कोई ताज नहीं,
पर उंगलियों में छाले हैं
जिन्होंने समय को गढ़ा है।
उसकी पीठ पर कोई झंडा नहीं,
पर वह रोज़ एक युग ढोता है —
कभी ईंटों में, कभी खेतों में,
कभी मशीनों के शोर में,
कभी नींद से चुराए गए सपनों में।
वह चुप है —
लेकिन उसकी चुप्पी
इतिहास की सबसे गूंजती आवाज़ है।
वह रोता नहीं,
पर हर आँसू की पीठ पर उसका नाम लिखा है।
वह लड़ता है —
बिना हथियार, बिना हिंसा के,
सिर्फ अपने श्रम से।
वह मजदूर है —
जिसने खून से रास्ते सींचे,
पसीने से आकाश रंगा,
और फिर भी इतिहास की किताबों में
उसके लिए कोई जगह नहीं।
पर आज,
जब हवा में फिर से शोषण की गंध है,
जब कंधों से ज़िम्मेदारियों का बोझ
हड्डियों में दरारें बना रहा है —
उसकी याद आई है।
आज का दिन —
सिर्फ एक दिन नहीं है,
यह उसकी गाथा है,
जो हर हथौड़ी की चोट में दर्ज है,
हर फावड़े की नोक पर उगी है।
हे श्रम के सपूत,
तू अनाम है — फिर भी सबसे महान।
तेरी भुजाओं में पृथ्वी की धड़कन है,
तेरे पैरों में युगों की गति।
तू मिटेगा नहीं,
क्योंकि तू रचता है —
हर दिन, हर युग, हर क्षण,
अपने श्रम एक नया इतिहास।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
"कमल की कलम से"
(शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com