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“आतंकवादियों का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना पाकिस्तान की प्रथा हो सकती है, लेकिन भारत के लिए इसके कोई मायने नहीं हैं” - विदेश सचिव विक्रम मिस्री

“आतंकवादियों का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना पाकिस्तान की प्रथा हो सकती है, लेकिन भारत के लिए इसके कोई मायने नहीं हैं” - विदेश सचिव विक्रम मिस्री

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने एक ब्रिटिश समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कबूल किया है कि उनके देश ने तीन दशकों तक आतंकवादी गुटों का समर्थन किया है। आसिफ ने इसे “गलती” करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अपनी इन कारगुजारियों की भारी कीमत चुकाई है। उनका यह कबूलनामा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल के आतंकवादी हमले के मद्देनजर आया है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता में पाकिस्तान की अतीत की भागीदारी के बारे में नई चिंताएं उत्‍पन्‍न हो गई हैं।
पाकिस्तान बढ़ते कूटनीतिक अलगाव और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बढ़ते दबाव का सामना करने की वजह से टूटने की कगार पर खड़ा है। 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर (जिसमें 7 मई, 2025 को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों पर सटीक मिसाइल हमले किए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों को पनाह देने के लिए लंबे अर्से से कुख्‍यात बहावलपुर और मुरीदके के प्रमुख ठिकाने शामिल थे) के बाद से, सऊदी अरब, यूएई और यहां तक ​​कि चीन सहित पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगियों ने उससे किनारा कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी गुटों के साथ पाकिस्तान की संलिप्तता की जांच की है और पाकिस्तान दक्षिण एशिया में अपना रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।
पाकिस्तान को आतंकवाद का बार-बार प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन करने का दोषी ठहराया जाता रहा है। जम्मू -कश्मीर सहित भारत भर में कई आतंकवादी हमलों को पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्‍जे वाले कश्मीर में मौजूद आतंकवादी ढांचे का लाभ उठाने वाले घुसपैठियों द्वारा अंजाम दिया जाता रहा है। आतंकवादियों के प्रति यह समर्थन इन सुरक्षित पनाहगाहों के अलावा, क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने के जरिए भी प्रकट होता है। पाकिस्तान से पनपने वाले भारत विरोधी आतंकवाद के बारे में सरकार की चिंताओं को कई अवसरों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ और पाकिस्तान के साथ भी द्विपक्षीय रूप से उठाया गया है।


भारत पर आतंकवादी हमलों की हाल की घटनाएं

पिछले दो दशकों (2005-2025) के दौरान भारत में अनेक आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें से अधिकतर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हुए हैं। इनमें सैन्य और पुलिस प्रतिष्ठानों पर फिदायीन हमलों से लेकर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों सहित आम नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए सामूहिक हमले शामिल हैं।

2005 से 2010 के बीच आतंकवादियों ने दूरदराज के इलाकों में राजनीतिक नेताओं, सुरक्षा बलों और नागरिकों को बारंबार निशाना बनाया। सबसे उल्लेखनीय हमलों में 2008 का मुंबई हमला शामिल है। पाकिस्तान द्वारा समर्थित और लॉन्च किए गए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर कायराना हमले किए। चार दिन तक चली इस तबाही में पुलिस और सुरक्षा बलों के 18 जवानों और 26 विदेशी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए और 308 लोग घायल हुए। मुंबई में 26 से 29 नवंबर 2008 के बीच छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस सहित 13 स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी, ग्रेनेड फेंकने और बम विस्फोटों सहित सिलसिलेवार आतंकवादी हमले हुए। अन्य उल्लेखनीय हमलों में 2006 का कुल्हाड़ डोडा नरसंहार (19 नागरिक मारे गए) और श्रीनगर और बारामुला में कई आईईडी हमले शामिल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में नागरिक और सुरक्षाकर्मी हताहत हुए। लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे गुट लगातार इन हमलों से जुड़े रहे हैं, जिनकी पनाहगाहें और प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान में हैं।


2013 से 2019 तक इन हमलों की तीव्रता और जघन्‍यता बढ़ती चली गई । 2014 के अरनिया और उरी हमलों और 2015 के राजबाग पुलिस स्टेशन हमले को भारी मात्रा में हथियारों से लैस घुसपैठियों ने अंजाम दिया। इनमें सबसे विनाशकारी पुलवामा हमला (14 फरवरी 2019) था, जिसमें पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए आईईडी आत्मघाती बम विस्फोट में सीआरपीएफ के 40जवान शहीद हो गए थे।
इस अवधि के दौरान अनेक हमलों को अंजाम दिया गया, जिनमें बंधक बनाने की घटनाएं, फिदायीन हमले और हाईग्रेड विस्फोटकों का इस्‍तेमाल भी शामिल था।


2020 और 2025 के बीच, - राजौरी-पुंछ, रियासी, पुलवामा और बारामुला में तीर्थयात्रियों, नागरिकों और सेना के काफिलों को निशाना बनाने का -एक नया पैटर्न उभर कर आया। इस बदलाव में पहाड़ी/जंगल वाले इलाकों में घात लगाकर हमला करने, पर्यटक स्थलों पर बड़े हमले करने और मारे जाने वाले नागरिकों की संख्‍या में चिंताजनक वृद्धि खास तौर पर डांगरी (2023), रियासी (2024) और पहलगाम (2025) – के हमले शामिल हैं ।
इमेज
भारत में हाल के भीषण आतंकवादी हमले
1 जनवरी, 2023
डांगरी, राजौरी (जम्‍मू-कश्‍मीर)
7 नागरिक मारे गए, 14 घायल हो गए
रिहायशी इलाके में हिंदू नागरिकों को निशाना बनाकर गोलीबारी और आईईडी विस्‍फोट
......
20 अप्रैल 2023
बसूनी, पुंछ (जम्‍मू-कश्‍मीर)
सेना के 5 जवान शहीद
सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला किया गया और उसे आग लगा दी गई
बाद की कार्रवाई में 4 स्‍थानीय व्‍यक्ति गिरफ्तार किए गए
......
9 जून, 2024
रियासी, (जम्‍मू-कश्‍मीर)
9 नागरिक मारे गए, 41 घायल हो गए
तीर्थ यात्रियों की बस पर हमला किया गया और उसे खड्ड में धकेल दिया गया,
पीडि़तों में से ज्‍यादातर उत्‍तर प्रदेश के रहने वाले थे
......
8 जुलाई, 2024
कठुआ, (जम्‍मू-कश्‍मीर)
सेना के 5 जवान शहीद
बानदुर्द नालाह के निकट ड्यूटी से लौट रहे गश्‍त लगाने वाले सैन्‍य वाहन पर घात लगाकर हमला किया गया
......
20 अक्‍टूबर, 2024
गगनगीर, गांदरबल (जम्‍मू-कश्‍मीर)
7 नागरिक मारे गए, 5 घायल हो गए
लोकप्रिय पर्यटक स्‍थल पर
एक निजी कंपनी के कार्यालय पर हमला
.....
22 अप्रैल 2025
बैसरण, पहलगाम, (जम्‍मू-कश्‍मीर)
26 नागरिक मारे गए, 14 घायल हो गए
खूबसूरत मैदान पर पर्यटकों और स्‍थानीय लोगों के समूह को
निशाना बनाकर की गई गोलीबारी










यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची: पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले व्यक्ति और गुट
यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची में अल-कायदा, आईएसआईएल (दाएश) और संबंधित गुटों से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं को लक्षित किया गया है। इन प्रतिबंधों में संपत्ति जब्त करना, यात्रा पर प्रतिबंध और हथियारों पर प्रतिबंध शामिल हैं। इस प्रतिबंध सूची में वर्तमान में 254 व्यक्तियों और 89 संस्थाओं के नाम शामिल हैं, इसे पिछली बार 11 मार्च 2025 को अपडेट किया गया था और यह पिछले सभी संस्करणों को प्रतिस्थापित करती है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1267 के उपयुक्‍त प्रावधानों के तहत हाफ़िज़ सईद और ज़की-उर रहमान लखवी सहित पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले अनेक व्यक्तियों और लश्कर-ए-तैयबा/जमात-उद-दावा सहित संगठनों को सूचीबद्ध करने का भारत द्वारा सफल प्रयास किया गया है। पाकिस्‍तान से भारत के विरुद्ध गतिविधियां चलाने वाले इन व्‍यक्तियों और संगठनों पर सरकार 1267 व्यवस्था लागू करने और उसकी कड़ी निगरानी करने का प्रयास जारी रखे हुए है। पाकिस्तान स्थित अथवा पाकिस्तान में मौजूदगी की पुष्टि वाले कुछ कुख्‍यात व्‍यक्तियों और संगठनों/गुटों के नाम नीचे दिए गए हैं जो यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल हैं:


नाम
संबंध
भूमिका/पदनाम
पाकिस्तान में स्थान
हाफ़िज़ मुहम्मद सईद
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)
सरगना
लाहौर
जकी-उर-रहमान लखवी
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)
चीफ ऑफ ऑपरेशन्‍स
इस्लामाबाद
हाजी मुहम्मद अशरफ
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)
वित्‍तीय सरगना
विशिष्ट स्थान उपलब्ध नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में मौजूद है




मसूद अज़हर
जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम)
संस्‍थापक
विशिष्ट स्थान उपलब्ध नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में मौजूद है




जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम)
आतंकवादी गुट
आतंकवादी संगठन
पेशावर और मुजफ्फराबाद
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)
आतंकवादी गुट
आतंकवादी संगठन
लाहौर
अल रशीद ट्रस्ट
वित्तीय संस्था
आतंकवादी गुटों को वित्‍तीय सहायता दी
कराची, पेशावर, रावलपिंडी आदि सहित पाकिस्तान के कई शहर

अल अख्तर ट्रस्ट
वित्तीय संस्था
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी गुटों को सहायता दी
कराची
अब्दुर रहमान
जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा जैसे संगठन




आतंकवादी संगठनों की लॉजिस्टिक्‍स और वित्‍तीय मदद
कराची
अब्दुर रहमान मक्की
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का डिप्‍टी चीफ
पंजाब




तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी)




आतंकवादी गुट
आतंकवादी संगठन
संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र







पाकिस्तान की समानांतर आतंकी अर्थव्यवस्था
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (एसएटीपी) के अनुसार, पाकिस्तान 83 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों का ठिकाना हैं। इनमें से 45 सक्रिय हैं, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे एशिया और उससे भी आगे हिंसा फैला रहे हैं। इनमें से अनेक स्‍थानीय स्‍तर पर पनपने वाले गुट हैं; अन्य अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क हैं जिन्हें पाकिस्तान के सत्‍तारूढ़ प्रतिष्‍ठान और उसकी सर्वशक्तिमान सेना खुलेआम या गुप्त रूप से संरक्षण देती है, चाहे वह सीधे तौर पर या वस्‍तुत: देश पर हुकूमत कर रही हो ।
पाकिस्‍तान के अपने वित्त से इन गैर-सरकारी लोगों को पोषित किया जाता है। हालांकि सटीक हिसाब-किताब रखना मुश्किल है, लेकिन कोलंबिया यूनिवर्सिटी अफेयर्स ऑनलाइन में प्रकाशित 2002 के एक महत्‍वपूर्ण अध्ययन ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के वित्तपोषण का आकलन किया था : जिसके मुताबिक उसमें 25% सीधे पाकिस्तान से आया था, 20% विदेशी इस्लामी निकायों और देशों से, 15% नशीले पदार्थों से, और तीन अन्य तरीकों - अवैध हथियारों की बिक्री, जाली करंसी तथा जबरन वसूली और बैंक डकैती का मिश्रण- प्रत्येक ने 10% का योगदान दिया। संख्याओं में परिवर्तन हो सकता है, लेकिन ढांचा बरकरार है।
आतंकवाद को पाकिस्तान का समर्थन केवल सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने तक ही सीमित नहीं है; यह समानांतर अर्थव्यवस्था तक फैला हुआ है जिसके तहत विभिन्न माध्यमों से आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्‍ध कराया जाता है:
नशीले पदार्थों का कारोबार : पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन नशीले पदार्थों के कारोबार में लिप्‍त रहे हैं, और इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल अपने कृत्‍यों को अंजाम देने में करते हैं। पाकिस्तान में नशीले पदार्थों के आतंकवाद को अपनाने का सिलसिला जनरल जिया उल-हक (1978-88) के शासनकाल में शुरू हुआ। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने जल्द ही नशीले पदार्थों की तस्करी को आतंकवादियों को वित्तीय सहायता देने से जोड़ दिया, और मुनाफे का इस्‍तेमाल गुप्त अभियानों में होने लगा। यह पाइपलाइन अब तक बरकरार है: आईएसआई तस्करी के गिरोहों का निर्देशन करना जारी रखे हुए है, ताकि उसके पसंदीदा प्रॉक्सी के लिए नकदी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती रहे।


चैरिटेबल संगठन: पाकिस्तान में कुछ चैरिटेबल संस्थाओं पर मानवीय कार्य की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के लिए धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तानी संगठन इस योजना के केंद्र में हैं: मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय और बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का इस्लामी मदरसा कुख्यात संग्रह केंद्र के रूप में सामने आए हैं, जो अवैध धन को वास्तव में सरकार द्वारा स्वीकृत युद्ध कोष में पहुंचाते हैं। मसूद अजहर का कराची स्थित अल-रशीद ट्रस्ट और हाफ़िज़ सईद का जमात-उद-दावा, जिसे व्यापक रूप से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा माना जाता है, उन अनेक इस्लामी धर्मार्थ संस्थाओं में से हैं जो कट्टरपंथी संगठन के रूप में भी काम करते हैं। 9/11 के बाद आतंकी फंडिंग के लिए अल-रशीद ट्रस्ट के ऑपरेशनों को बंद कर दिया गया था; जमात-उद-दावा जेईएम की अन्य संबंधित चैरिटी संस्थाओं की तरह अभी तक गतिविधियां चला रहा है। ये चैरिटी संगठन न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में “जिहाद के लिए दान” मांगने के लिए विज्ञापन देते हैं। उनके प्रयासों को धार्मिक मदरसों द्वारा बल मिलता है, जो भर्ती में सहायता करते हैं और उनके संदेश को फैलाते हैं।


जाली करंसी : जाली भारतीय करंसी के प्रचलन को पाकिस्तान स्थित नेटवर्कों से जोड़ा गया है जिनका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना और आतंकवाद को वित्तपोषित करना है।


पिछले सोलह वर्षों में मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद-वित्तपोषण जैसी नाकामियों के लिए पाकिस्‍तान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्‍ट में कम से कम तीन बार रह चुका है। इसने पाकिस्तान में बाहरी पूंजी प्रवाह को गंभीर रूप से कम कर दिया, संभावित निवेश को हतोत्साहित किया और विदेशी स्रोतों और बहुपक्षीय एजेंसियों से ऋण और अन्य सहायता पर रोक लगा दी। पाकिस्तान को यह चेतावनी दी भी गई कि अगर वह सुधारात्मक उपायों को लागू करने में विफल रहा तो उसे एफएटीएफ की काली सूची में डाला जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कई बेलआउट ऋण रोक दिए गए, क्‍योंकि पाकिस्‍तान में कमजोर शासन और बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार है, जो वहां के लिए सामान्‍य बात है –ऐसी परिस्थितियों ने गलत आर्थिक नीतियों के तहत आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी अवैध परिपाटियों को पनपने का मौका दिया है। पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा और पाकिस्तान में रची गई साजिश के तहत अंजाम दिए गए पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर, उसे एफएटीएफ ग्रे सूची में वापस आने और इसके परिणामस्वरूप अगले आईएमएफ बेलआउट ऋण से इनकार होने या देरी होने की संभावना है, जो पाकिस्‍तान के लिए एक वास्तविक जोखिम बन चुका है।
निष्‍कर्ष
आतंकवाद को प्रायोजित करने में पाकिस्तान की संलिप्तता होने के पर्याप्त और बहुआयामी सबूत मौजूद हैं, जिनमें आतंकवादी संगठनों को प्रत्यक्ष समर्थन, वित्तीय सहायता और सुरक्षित पनाहगाहें उपलब्‍ध कराना शामिल है। यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची में पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले व्यक्तियों और गुटों को शामिल किया जाना, इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की स्‍वीकृति को रेखांकित करता है। पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद समर्थित बुनियादी ढांचे का मुकाबला करने और उसे नष्ट करने के लिए निरंतर सतर्कता और समन्वित अंतरराष्‍ट्रीय प्रयास आवश्यक हैं।


संदर्भ
रक्षा मंत्रालय
https://www.youtube.com/watch?v=5e3eY5aR-Wc https://www.youtube.com/watch?app=desktop&v=PoGCXt1jDcA
https://www.instagram.com/reel/DJZjINHyNxS/
https://www.mea.gov.in/lok-sabha.htm?dtl/26485/QUESTION_NO2041_PAKISTAN_SPONSORED_ https://ddnews.gov.in/en/pakistans-parallel-terror-economy-narcotics-charities-and-counterfeit-cash/ https://www.newsonair.gov.in/country-supported-terrorist-groups-for-three-decades-says-pakistansdefence-minister/
https://sansadtv.nic.in/episode/perspective-26-11-mumbai-terror-attack-lessons-learnt https://main.un.org/securitycouncil/en/sanctions/1267/aq_sanctions_list https://main.un.org/securitycouncil/en/sanctions/1267 https://scsanctions.un.org/p6bwjen-al-qaida.html एमजी/आरपीएम/केसी/आरके
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