Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अंतर समीक्षा में चूक करती भारतीय राजनीति

अंतर समीक्षा में चूक करती भारतीय राजनीति

डॉ राकेश कुमार आर्य
पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जिस प्रकार देश का नेतृत्व किया है, उससे उनके व्यक्तित्व में और चार चांद लग गए हैं । आगामी कुछ समय में जिन-जिन प्रान्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां पर एनडीए को इसका लाभ मिलेगा। यहां तक कि 2027 में उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ को इसका लाभ मिलना निश्चित है। यही कारण है कि देश के कुछ राजनीतिक दल और उनके नेता भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि 'ऑपरेशन सिंदूर' में जितना राजनीतिक लाभ मोदी-योगी की जोड़ी को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है, उसके प्रभाव को क्षीण किया जाए।
राजनीतिक स्वार्थों की सिद्धि के लिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी के सुर इस समय एक साथ एक जैसे निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन दोनों को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मैदान की चिंता है, जिसके लिए इनके गले इसी समय बैठ चुके हैं। अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए राहुल गांधी एंड ब्रिगेड पाकिस्तान पर कार्रवाई को लेकर जहां सरकार के साथ खड़ी दिखाई दी, वहीं सीजफायर के समय अमेरिका की भूमिका को लेकर ये ब्रिगेड कई प्रकार के सवाल भी खड़े कर रही है। ये ब्रिगेड भली प्रकार जानती है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी राष्ट्रीय राजनीति में इस समय सबसे चमकते हुए सितारे हैं। बस, यही वह कारण है जो इनको रात को सोने नहीं देता। प्रधानमंत्री को आभाहीन करने के लिए इन्होंने संसद का सत्र बुलाने की बात भी कही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 99 सीट प्राप्त कर भाजपा को थोड़ा पीछे धकेलने में सफलता प्राप्त की थी। जिससे राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी बहुत उत्साहित दिखाई दिए थे। उन्हें यह आभास नहीं था कि इतनी शीघ्रता से मोदी लोकप्रियता की अपनी ऊंचाई को फिर से प्राप्त कर लेंगे और वह फिर से इतने ताकतवर हो जाएंगे कि उन्हें कोई चुनौती देने की स्थिति में नहीं होगा। अपनी इसी खोई हुई स्थिति को प्राप्त करना राहुल गांधी के लिए प्राथमिकता है। उनकी प्राथमिकता के साथ शोर मचाना उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष की मजबूरी है और इसी प्राथमिकता व मजबूरी को समझकर शोर मचाना कांग्रेस के सभी सांसदों के गले की फांस है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए यह बात बहुत सुखदायक कही जाएगी कि जहां राहुल 77 यूपीए-2 में विदेश राज्य मंत्री रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर सहित शरद पवार, उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के बाद अब सुखबीर सिंह बादल उस सूची में सम्मिलित हो गए हैं जो प्रधानमंत्री मोदी की 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय में निभाई गई भूमिका को सराहनीय करार दे रहे हैं। एआईएआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तो अपनी देशभक्ति के प्रदर्शन में इन सभी नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। उनके वक्तव्य और भाषणों से स्पष्ट हो रहा है कि वह वास्तव में इस समय श्री मोदी को राष्ट्रीय नेता मान चुके हैं। जब राहुल गांधी अपनी परंपरागत राजनीति का परिचय देते हुए जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं, तभी इन नेताओं का उनके साथ खड़ा न होना उनके लिए एक नई समस्या खड़ी कर रहा है। यद्यपि वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में सारे विपक्ष को अपने साथ दिखाने का प्रयास करते हैं परंतु दुर्भाग्य यह है कि उनका अपना घर अर्थात कांग्रेस भी उनके साथ नहीं है। केंद्र सरकार ने जब पहलगाम हमले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी तो शिवसेना और कांग्रेस ने उस बैठक में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर अपना तीखा विरोध व्यक्त किया था। उस समय कांग्रेस के आचरण को लेकर समाचार पत्रों में उसकी आलोचना हुई थी। इस समय कांग्रेस के नेता अजय राय ने राफेल पर नींबू मिर्च लगाकर प्रधानमंत्री पर व्यंग्य कसने का
कुत्सित ढंग खोज निकाला। कांग्रेस की ओर से इंटेलिजेंस के असफल होने की बात उठाई गई तो शशि थरूर ने इस पर मरहम लगाते हुए कहा कि ऐसा किसी भी देश में हो सकता है। वास्तव में शशि थरूर जो कुछ कह रहे थे, वह सच्चाई के अधिक निकट था। पर्याप्त सावधानियां बरतने के उपरांत भी इंटेलिजेंस फैलियर की संभावना बनी रहती है। जब सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए गए तो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के बड़े नेता फारूक अब्दुल्ला ने विपक्ष की उस मिसाइल को भी निशाने पर पहुंचने से पहले ही ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि जब हमने प्रधानमंत्री को इस समय अपना समर्थन दे ही दिया है तो इस प्रकार के सवाल उठाने निरर्थक है। जनता में देशभक्ति के ज्वार को देखते हुए कांग्रेस के नेता अजय राय के साथ पार्टी का कोई नेता खड़ा हुआ दिखाई नहीं दिया। सब मैदान छोड़कर भाग गए । कुछ देर बाद अजय राय ने देखा कि उनके साथ कहीं कोई दूर-दूर तक भी नहीं खड़ा है तो वह स्वयं ही अपनी मूर्खता पर प्रायश्चित करने लगे। छोटी हरकत छोटी सोच से जन्म लेती है, जो व्यक्ति को और उसके कद को छोटा करती है। जो दूसरों पर व्यंग्य करते हैं, वह स्वयं ही मजाक का पात्र बन जाते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस प्रकार सारे विश्व में भारत के सम्मान में वृद्धि हुई है ,उसके दृष्टिगत भारत की सारी राजनीति को अपनी अंतर समीक्षा करनी चाहिए थी। विशेष रूप से विपक्ष को यह देखना चाहिए था कि जब सारा संसार भारत का कीर्तिगान कर रहा हो, तब हम अपने निजी और घरेलू मतभेदों को प्रकट न होने दें। परंतु इन लोगों ने अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए भारत के यशोगान के क्षणों को अनजाने में ही मोदी का यशोगान बना दिया। यदि देश के विपक्ष के नेता विशेष रूप से राहुल गांधी थोड़ी देर धैर्य का परिचय देते तो इस समय जितना विदेश में भारत का कीर्ति दान हो रहा था उसे सब के दिए राहुल गांधी भी प्रशंसा का पात्र बन जाते ।
तब भारत के कीर्तिगान की यह माला अकेले प्रधानमंत्री श्री मोदी के गले में न पड़ती बल्कि यह भारत की सारी राजनीति के गले में पड़ती , जिसके केंद्र में राहुल गांधी भी खड़े होते।
छोटी सोच बड़ी उपलब्धियां से व्यक्ति को वंचित कर देती है, यह हमने राहुल गांधी एंड ब्रिगेड के प्रधानमंत्री श्री मोदी की टांग खींचनेकी वर्तमान राजनीति के फलितार्थ के रूप में देखा है।


( लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं। )
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ