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गीत गुनगुनाते चले

गीत गुनगुनाते चले

कुछ तुम लिखो कुछ हम लिखे भावों की है धारा।
तुम कहो कुछ हम कहे सुरों का है संगीत प्यारा।
महफिल महकाते चले महकता समां सजाते चले।
गीत गुनगुनाते चले यूं तराने दिलों के सुनाते चले।

कुछ तुम हंसो कुछ हम हंसे हसीन मोती प्यारे।
तुम बोलो कुछ हम बोले सपने दिलों में हमारे।
धड़कनों की राग से अनुराग बरसाते चले हम।
प्रीत की सुहानी डगर सुमन बिखराते चले हम।

तुम चलो कुछ हम चले प्रगति पथ बढ़ते चले।
तुम पढ़ो कुछ हम पढ़े जीवन के अध्याय नये।
आओ गढ़ले कीर्तिमान कुछ आगे बढ़कर यहां।
काव्य रच ले परवान चढ़े साहित्य सरिता जहां।
शब्दों का जादू छा जाए अथरों पर मुस्कान आए।
चेहरा तेरा खिल जाए हंसी नजारा मन को भाए।
कुछ तुम सुनो कुछ हम सुनाएं धड़कनों की तान।
कुछ तुम गाओ कुछ हम गाएं दिल का मधु गान।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
 रचना स्वरचित व मौलिक है
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