Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

पाखंड

पाखंड

खंड खंड में पाखंड बना ,
अखंड को बनाता खंड है ।
खंड खंड को खंड बनाता ,
पाखंड की शक्ति प्रचंड है ।।
पाखंड बसता अंतर्मन में ,
पाखंड मूल रूप घमंड है ।
पाखंड है तम रूपी खाई ,
असहनीय देता जो दंड है ।।
पंख भी जिसके देते अंड ,
वही कहलाता पाखंड है ।
पाखंड आज है गंड बना ,
पाखंड हथियार बना चंड ।।
पाखंड रहित पंडित बना ,
पाखंड ही करता तंड है ।
पाखंड जन्मा जन जन में ,
पाखंड नहीं पड़ता है ठंड ।।
पाखंड प्रचंड है महामारी ,
पाखंड बनाया मन ये पंड ।
पाखंड पुरुषार्थ ढोता नहीं ,
मानव बनता स्वयं है शंड ।।
पाखंड तो है महा अवगुण ,
पाखंड न होता सद्गुण है ।
पाखंड मन गलत उपजाता ,
पाखंड ही हत्या भ्रूण है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ