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शोध पत्र की भविष्यवाणी - क्या '2025 में ही छिड़ेगा भारत- पाकिस्तान परमाणु युद्ध?'

शोध पत्र की भविष्यवाणी - क्या '2025 में ही छिड़ेगा भारत- पाकिस्तान परमाणु युद्ध?'

लेखक  जितेन्द्र कुमार सिन्हा दिव्य रश्मि के उपसम्पादक है |

2019 में रूटलेज (ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय प्रकाशक) द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र (भविष्यवाणी) ने उस समय हलचल मचाई थी, लेकिन जल्द ही यह भविष्यवाणी किसी पुस्तकालय के पन्नों में सिमट गई। अब, 2025 में जब भारत-पाकिस्तान संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, तब यह शोध फिर से सुर्खियों में है।


इस अध्ययन ने जिस गंभीर और विनाशकारी भविष्य की कल्पना की थी, वह आज के परिदृश्य में कहीं अधिक प्रासंगिक लगने लगा है। शोध पत्र में एक ऐसा परमाणु युद्ध का परिदृश्य प्रस्तुत किया गया था, जो केवल दक्षिण एशिया को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है।


यह अध्ययन किसी मनगढ़ंत कल्पना पर आधारित नहीं था। इसमें अनेक भू-राजनीतिक विश्लेषण, सैन्य आंकड़े, ऐतिहासिक संघर्षों और भारत-पाकिस्तान के बीच की बढ़ती कटुता को आधार बनाया गया था। अध्ययनकारों ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि यदि पाकिस्तान की ओर से एक बड़ा आतंकी हमला होता है, तो भारत की जवाबी कार्रवाई पारंपरिक सीमाओं से बाहर जा सकती है। इस स्थिति में परमाणु विकल्प की आशंका तेजी से बढ़ जाएगी।


भारत की सैन्य ताकत पारंपरिक युद्ध में, पाकिस्तान से कई गुना अधिक है। पाकिस्तान ‘फर्स्ट यूज’ नीति में भरोसा रखता है, जबकि भारत ‘नो फर्स्ट यूज’ की नीति पर चलता है। इसी असमानता को देखते हुए पाकिस्तान की रणनीति ‘कम यील्ड टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन’ (TNW) के शुरुआती प्रयोग पर आधारित मानी जाती है।


शोध पत्र में सबसे पहले दिन की जो तस्वीर खींची गई है, वह बेहद डरावनी है। इसकी शुरुआत होती है एक बड़े आतंकी हमले से। मान लिया जाय जैसे 26/11 का हमला हो या पुलवामा जैसा हमलाहो या इससे और अधिक विनाशकारी हमला हो, तब इसके बाद, भारत जवाबी कार्रवाई में LOC पर सैनिक बढ़ायेगा। भारत के टैंक सीमा पार कर पाकिस्तान में घुसेगा। और पारंपरिक युद्ध में पिछड़ता पाकिस्तान अपने क्षेत्र में 10 टैक्टिकल परमाणु बम (5 किलो टन) का इस्तेमाल करेगा। सर्वविदित है कि परमाणु हमला सीमित होता है, लेकिन तबाही असीम होता है। क्योंकि इसके सीमा क्षेत्रों में तेजी से रेडिएशन फैलता है।


पहले दिन के हमले से भारत में आक्रोश और सैन्य प्रतिशोध चरम पर होगा। पाकिस्तान की ओर से एक और बड़ा हमला होगा। पाकिस्तान 15 और परमाणु बम दागेगा, जिनमें से कुछ भारतीय शहरी क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनेगा। भारत, जवाब में, 20 स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च करेगा और यह मिसाइलें पाकिस्तान के सेना मुख्यालय, परमाणु डिपो और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनायेगी।


तीसरे दिन की भविष्यवाणी सबसे ज्यादा डरावनी बताई गई है। क्योंकि युद्ध केवल सीमित नहीं रहेगा बल्कि वार पूर्ण युद्ध में बदल जाएगा। पाकिस्तान भारत के प्रमुख शहरी क्षेत्रों जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर और अमृतसर को निशाना बनाकर 15 परमाणु हमले करेगा। भारत जवाब में पाकिस्तान के 10 सैन्य और औद्योगिक केंद्रों पर परमाणु हमला करेगा। इस तरह के युद्ध का परिणाम होगा कि रेडिएशन से प्रभावित क्षेत्र बढ़ जाएगा। लाखों लोग जल जायेंगे और करोड़ों विस्थापित हो जायेंगे। अस्पताल, संचार, पानी की आपूर्ति और मूलभूत ढांचा भी पूरी तरह नष्ट हो जायेगा।


सूत्रों के अनुसार, शोध पत्र का सबसे भयानक हिस्सा तब सामने आता है जब दोनों देश पूर्ण परमाणु युद्ध की स्थिति में पहुंच जाता हैं। पाकिस्तान अपने 120 परमाणु हथियारों का पूर्ण उपयोग करता है और भारत लगभग 70 मिसाइल से हमला करता है और अपने शेष 100 परमाणु हथियारों को चीन के लिए रोक कर रखता है (संभावित तीसरे मोर्चे की तैयारी)। इस युद्ध का वैश्विक प्रभाव यह होगा कि सैकड़ों मिलियन टन धुआं वायुमंडल में जाता है। दुनिया भर में सूरज की रोशनी कम हो जाती है। फायरस्टॉर्म्स और रेडिएशन से ग्लोबल क्लाइमेट प्रभावित होता है। कृषि प्रणाली और आपूर्ति श्रृंखलाएं टूट जाती हैं, जिससे वैश्विक अकाल का संकट उत्पन्न होता है।


शोध पत्र के अनुसार, इस युद्ध की स्थिति में केवल भारत और पाकिस्तान में ही नहीं, पूरी दुनिया में करोड़ों लोग मारे जा सकते हैं और स्थिति यह होगी कि भारत में 12-15 करोड़, पाकिस्तान में 10-12 करोड़, अन्य एशियाई देश (प्रभावित) 2-5 करोड़, वैश्विक रेडिएशन से प्रभावित 50 करोड़ तक अनुमानित मृतक की संख्या होगी यानि कुल मिलाकर यह युद्ध मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध सिद्ध हो सकता है।


सूत्रों के अनुसार, परमाणु विस्फोटों से केवल जान-माल की क्षति नहीं होती है, बल्कि पृथ्वी के पर्यावरणीय संतुलन को भी पूरी तरह बिगाड़ देता है। वायुमंडल में धुएँ और कालिख की मोटी परत सूरज की रोशनी को अवरुद्ध कर देती है। तापमान में भारी गिरावट होती है, जिससे ‘न्यूक्लियर विंटर’ की स्थिति बनती है। मानव जीवन के लिए खाद्य उत्पादन लगभग असंभव हो जाता है। समुद्री जीवन, जंगल, वन्यजीव सब पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
निश्चित ही सभी लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या यह सब केवल काल्पनिक भय है, या इस भविष्यवाणी में कुछ सच्चाई है? यह सब लोग जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अक्सर सीमा पर देखा जाता है। दोनों देशों के पास परमाणु हथियार भी हैं। पाकिस्तान की नीति में ‘फर्स्ट यूज’ का प्रावधान है और भारत की सैन्य कार्रवाइयाँ सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर एयर स्ट्राइक तक विस्तार पा चुकी हैं। लेकिन इन तथ्यों को देखते हुए यह कल्पना बहुत दूर की लगती है। इसीलिए यह शोध पत्र आज भी नीति-निर्माताओं, सैन्य विश्लेषकों और वैश्विक संगठनों के लिए चेतावनी जैसी प्रतीत होता है।
2019 का यह शोध पत्र केवल एक भविष्यवाणी नहीं लगता है, बल्कि एक चेतावनी दिखता है कि राजनीतिक निर्णयों में एक चूक और सैन्य जवाबी कार्रवाइयों में उत्तेजना कैसे पूरी मानवता को तबाही के गर्त में धकेल सकता है। ————————-
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