Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

एक चिटकी सिंदूर का महत्व

एक चिटकी सिंदूर का महत्व

छिना था अलग सिंदूर जिसने ,
पड़ गया आज सिंदूर से पाला ।
एक चिटकी सिंदूर को देख लो ,
क्या से क्या आज करा डाला ।।
चिटकी भर सिंदूर महत्व देख ,
दो अपरिचित दिल मिलते हैं ।
दो जिस्म एक जान होते दोनों ,
दोनों दिल कली सा खिलते हैं ।।
चिटकी भर सिंदूर का मोल देख ,
कैसे जड़ से विनाश कराता है ।
दूसरे का नाश भाता जिसको ,
आज स्वयं भय क्यों खाता है ।।
यह सिंदूर उस भारतीय माॅं की ,
उर से जिसके जाती आह कहाॅं !
तेरी पत्नी भी माॅं बहन ही होगी ,
तेरा भी सुदृढ़ यह निकाह कहाॅं!!
दूसरे का सिंदूर तूने ही छिना है ,
तेरी पत्नी का सिंदूर छिनाएगा ।
तेरी माॅं बहन का भी ये सिंदूर ,
अब कभी भी टिकने न पाएगा ।।
पाक जो आज नापाक हुआ है ,
वह फिर से ये पाक हो जाएगा ।
ध्वस्त होगा यह नापाक जीवन ,
सृष्टि का ये नाक हो जाएगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ