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जीबीएम कॉलेज में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन "यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज" के विभिन्न पहलुओं पर हुआ विचार मंथन

जीबीएम कॉलेज में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन "यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज" के विभिन्न पहलुओं पर हुआ विचार मंथन

  • एक "मैं" का दूसरे "मैं" के लिए सहज स्वीकृति का भाव ही अच्छे संबंधों का आधार होता है: डॉ आलोक कुमार पांडेय
गया जी। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से 13 दिसंबर से 15 दिसंबर 2025 तक यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर चल रहे तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन शरीर, सुविधा, मान्यता के तहत आयु, लिंग, वंश, बल, धन, पद, वाद, संप्रदाय एवं सूचना के आधार पर होने वाले भेदभावों पर चर्चा हुई। काइट (केआईईटी) ग्रुप अॉफ इन्स्टीट्यूशन, गाज़ियाबाद से पधारे मुख्य वक्ता प्रो. डॉ. आलोक कुमार पांडेय ने परिवार, समाज, प्रकृति/ अस्तित्व में व्यवस्था, समझ, सूचना, मान्यता, संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता, मानवीय दृष्टि, मानवीय मूल्य, मानवीय आचरण, मानवीय समाज में व्यवस्था आदि निर्दिष्ट बिंदुओं की व्याख्या की। लक्ष्य, कार्यक्रम एवं क्षमता, ममता, वात्सल्य, सहज स्वीकृति जैसे विषयों पर बातचीत हुई।

डॉ आलोक ने कहा कि व्यवस्था (संगीत) में जीना सुखदायक होता है। परिवार के सभी लोगों को सुखी करने के लिए किये गये सभी प्रयासों के बावजूद भी कभी-कभी हम परिवार के सदस्यों द्वारा उनके सभी दुःखों का कारण ठहरा दिये जाते हैं, जोकि संबंधो की समझ न होने का ही दुष्परिणाम होता है। जो एक "मैं" का दूसरे "मैं" के लिए सहज स्वीकृति का भाव ही अच्छे संबंधों का आधार होता है। जब एक "मैं" के भावों को दूसरा "मैं" पहचान लेता है, तो संबंध प्रगाढ़ होते हैं। सुखी मानव जीवन के लिए "मैं" और "शरीर" के बीच संतुलित सह-अस्तित्व का होना अति आवश्यक है। डॉ पाण्डेय ने परिवार के सदस्यों के दुःख का कारण सुविधाओं की कमी होने से कहीं अधिक संबंधों में निर्वाह के भाव के न होने को बताया। उन्होंने विश्वास को संबंधों का आधार बताया। विभिन्न उदाहरणों द्वारा सम्यक मूल्यन, अधिमूल्यन, अवमूल्यन तथा अमूल्यन की अवस्थाओं में "मैं" तथा "शरीर" के बीच स्थापित सह-अस्तित्व में आने वाले नैसर्गिक परिवर्तनों को सविस्तार समझाया।

कॉलेज की पीआरओ डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन भी सभी सत्र अत्यंत इंटरेक्टिव, ब्रेन स्टॉर्मिंग, एवं इंटरेस्टिंग रहे। मुख्य वक्ता और प्रतिभागियों के मध्य सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के विभिन्न पहलुओं पर संवादात्मक विचार-मंथन हुआ। कार्यक्रम की स्थानीय समन्वयक प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल, यूनाइटेड ग्रुप अॉफ इन्स्टीट्यूशन, प्रयागराज से आये अॉबजर्वर प्रो डॉ मनी महेश, कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो. डॉ जावैद अशरफ़, बर्सर प्रो सहदेब बाउरी, नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी सहित सभी प्रतिभागी प्रोफेसरों एवं शिक्षकेतर कर्मियों ने डॉ पांडेय के वक्तव्य को ध्यानपूर्वक सुनते हुए विषय से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर प्रश्न पूछकर शंकाओं का समाधान ढूंढा तथा पाया। कार्यशाला के तीसरे सत्र में आमंत्रित अतिथि के रूप में पधारे लालधारी सिंह यादव कॉलेज, गया के प्रधानाचार्य डॉ लालदेव यादव का स्वागत प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल ने पुष्प गुच्छ एवं अंगवस्त्रम प्रदान करके किया। वहीं डॉ यादव ने प्रधानाचार्या सहित पूरे कॉलेज परिवार को सुखी पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन के लिए मानवीय मूल्यों के ज्ञान की जरूरतों को ध्यान में रखकर आयोजित कार्यशाला के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

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