जीबीएम कॉलेज में "यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज" पर तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ शुभारंभ।

- बिहार के विभिन्न कॉलेजों के फैकल्टीज उठा रहे ह़ै कार्यशाला का लाभ
- संबंधों एवं सुविधाओं का आनंद उठाने के लिए सही समझ की है आवश्यकता: डॉ आलोक कुमार पांडेय

प्रधानाचार्या ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर एआईसीटीई द्वारा बिहार में इस तरह की अॉफलाइन कार्यशाला दूसरी बार गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में हो रही है, जो जीबीएम कॉलेज के साथ मगध विश्वविद्यालय के लिए भी अत्यंत हर्ष तथा गौरव की बात है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कार्यशाला का शत प्रतिशत उपस्थिति के साथ लाभ उठाने का आग्रह किया, ताकि शिक्षकगण वैल्यू एडेड कोर्सेज की कक्षाओं में प्राप्त ज्ञान तथा कार्यानुभवों को छात्र-छात्राओं से भलीभांति साझा कर सकें। उनका मार्गदर्शन कर सकें। स्वागत सत्र का संचालन कॉलेज की अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष एवं पीआरओ डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने किया।
डॉ रश्मि ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य मानवीय मूल्यों के संवर्द्धन के लिए शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मियों एवं छात्र-छात्राओं को जागरूक करना है। एफडीपी में बिहार के विभिन्न कॉलेजों के फैकल्टीज भाग ले रहे हैं। प्रातः 9 बजे से लेकर संध्या 6 बजे तक डेढ़-डेढ़ घंटों के चार सत्रों में मुख्य वक्ता डॉ आलोक कुमार पांडेय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लागू किये गये सीबीसीएस पाठ्यक्रम में वैल्यू एडेड कोर्स की आवश्यकता पर अपने बहुमूल्य विचार रखे। उन्होंने प्रतिभागियों को पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में घटित होने वाली विभिन्न परिस्थितियों का उदाहरण देते हुए सही समझ, संबंध, सुविधा, मानव चेतना, पशु चेतना, मूल्य आधारित शिक्षा, कौशल आधारित शिक्षा, संवाद की प्रक्रिया, सुख के स्रोत, सुख, दुख, चेतना और शरीर के मध्य स्थापित सह-अस्तित्व जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सविस्तार प्रकाश डाला। मानवीय संबंधों की बारीकियों को व्यक्तिगत जीवन तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य से विभिन्न उदाहरणों को देते हुए समझाया। सभी सत्र अत्यंत जीवंत तथा संवादात्मक रहे। प्रतिभागियों ने वक्ता डॉ आलोक पांडेय से अनेक प्रश्न भी पूछे। डॉ पांडेय ने कहा कि संबंधों एवं सुविधाओं का आनंद उठाने के लिए सही समझ आवश्यक है। हमें मानवीय चेतना के साथ जीवन जीने की आवश्यकता है। कहा कि परिवार तथा शैक्षणिक संस्थानों में सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है। कौशल आधारित शिक्षा तभी वास्तव में सफल और समाजोपयोगी होगी, जब उसमें जीवन मूल्यों का समावेश हो। छात्र-छात्राओं को नैतिक, समग्र, एवं मूल्य आधारित शिक्षा दी जाने की जरूरतों पर सविस्तार चर्चा हुई। कार्यशाला का लाभ स्टूडेंट्स वॉलेंटियर्स ने भी उठाया। कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो अशरफ़ ने भी कार्यशाला में वक्ता से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर संवाद किया।
कार्यशाला में डॉ सहदेब बाउरी, डॉ शगुफ्ता अंसारी, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ जया चौधरी, डॉ पूजा, डॉ पूजा राय, डॉ फरहीन वज़ीरी, डॉ रुखसाना परवीन, डॉ बनीता कुमारी, डॉ कृति सिंह आनंद, डॉ नगमा शादाब, डॉ अनामिका कुमारी, डॉ प्रियंका कुमारी, प्रीति शेखर, डॉ प्यारे माँझी, डॉ शुचि सिन्हा, डॉ अफ्शां नाहिद, डॉ शबाना परवीन हुसैन, डॉ प्रमिला कुमारी, डॉ सीता, डॉ वीणा कुमारी जायसवाल, डॉ विजेता लाल, डॉ फातिमा, डॉ आशुतोश कुमार पांडेय, डॉ सुरबाला कृष्णा, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ दीपिका, डॉ सपना पांडेय, डॉ किरण कुमारी, डॉ गणेश प्रसाद, डॉ रानी कुमारी, अभिषेक कुमार भोलू, अभिषेक कुमार, रौशन कुमार, नीरज कुमार, रेणु देवी, मोसन्ना जलाल, अजय कुमार, सुनील कुमार, अजीत कुमार, अजय कुमार, विक्रम कुमार, राजेश कुमार, उराँव, आनंद कुमार, विवेक कुमार, महेन्द्र कुमार, मीरा देवी, स्टूडेंट वॉलिंटियर्स गीतांजलि, अनीषा, सिमरन, सोनाली, सेतु आदि की प्रतिभागिता रही।
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