जियालाल आर्य के साहित्य में लोक-मंगल के भाव और उद्धार का आह्वान :-डा अनिल सुलभ

जियालाल आर्य के साहित्य में लोक-मंगल के भाव और उद्धार का आह्वान :-डा अनिल सुलभ

  • साहित्य सम्मेलन में काव्य-पुस्तक 'दो भिक्षुणियाँ' का हुआ लोकार्पण, हुई कवि-गोष्ठी।
पटना, २९ नवम्बर। गद्य और पद्य में समान अधिकार से लिख रहे वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य के साहित्य में काव्य-आदर्श के समान लोक-मंगल के भाव हैं। उत्पीड़न के विरुद्ध इनके प्रतिकार के स्वर भी कठोर नहीं, अपितु प्रियकर और प्रभावकारी हैं। इनमे विध्वंस का आक्रोश नहीं, उद्धार का आह्वान है। बिहार के गृह-सचिव रह चुके श्री आर्य मौलिक रूप से कवि और अहंकार से शून्य एक विनम्र मानव हैं, जो इनके साहित्य में भी लक्षित होता है।
यह बातें बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में श्री आर्य की नवीनतम काव्य-कृति 'दो भिक्षुणियाँ' के लोकार्पण हेतु आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि 'दो भिक्षुणियाँ', मथुरा की विश्रुत सुंदरी 'वासवदत्ता' और मगध की राजनर्तकी 'शालवती' के बौद्धधर्म में दीक्षित होने और उनके आध्यात्मिक रूपांतरण की मर्मस्पर्शी काव्य-कथा है। दोनों ही अपने समय के भिक्षुओं से प्रभावित हुईं तथा उनसे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त कर मानवता के त्राण हेतु अपना संपूर्ण जीवन अर्पित कर दिया।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा सी पी ठाकुर ने कहा कि आर्य जी साहित्य की बड़ी सेवा कर रहे हैं। लोकार्पित पुस्तक से पाठकगण अवश्य ही लाभान्वित होंगे।
अपने कृतज्ञता-ज्ञापन के क्रम में श्री आर्य ने पुस्तक के संबंध विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा कहा कि इसकी रचना की प्रेरणा दोनों कथा-नायिकाओं वासवदत्ता और शालवती की रहस्यमयी और रोचक कथाओं से मिली, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम काल में सांसारिक सुखों को दुःख का कारण मानती हुई, लोक-सेवा को अपना व्रत बना लिया।
दूरदर्शन,बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डा राज कुमार नाहर ने पुस्तक की काव्य-पंक्तियों को गाकर प्रस्तुत किया, जिसका करतल ध्वनि से स्वागत किया।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, बच्चा ठाकुर, पंकज वसंत, डा प्रतिभा रानी, प्रो एहशान शाम, डा ओम् प्रकाश जमुआर, शंकर कैमूरी, डा इंद्रकांत झा, कुमार अनुपम, श्याम बिहारी प्रभाकर,ई अशोक कुमार, जय प्रकाश पुजारी, अरुण कुमार श्रीवास्तव, अर्जुन प्रसाद सिंह, अरुण कुमार पासवान, डा कुंदन लोहानी, पृथ्वीराज पासवान, अरविंद अकेला, डा महेश राय आदि कवियों ने अपने काव्य-पाठ से उत्सव में मधु-रस का संचार कर दिया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन बबीता आर्य ने किया। सामेलन के अर्थमंत्री प्रो सुशील कुमार झा, श्री आर्य के पुत्र राकेश आर्य, पौत्र अमन आर्य, डा आरती कुमारी, नरेंद्र कुमार ओझा, नेहाल कुमार सिंह 'निर्मल', अमन वर्मा, डा कैसर जाहिदी, अमित कुमार सिंह, नन्दन कुमार मीत समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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