जिसके रग रग का खून गरम हो

जिसके रग रग का खून गरम हो ,

उसका हौसला भी ये कैसा होगा ।
देशभक्त राणा प्रताप लक्ष्मीबाई
सुभाष आजाद के जैसा होगा ।।
भारत की धरा अति स्वाभिमानी ,
वीर विद्वान सदा यह जनती है ।
वीर सपूतों को यह जन्म देकर ,
भारत माॅं गौरवान्वित बनती है ।।
रहता तैयार मारने मरने को भी ,
दुश्मनों हेतु दिल में प्यार कहाॅं ।
अरि समक्ष जो पीठ दिखा दे ,
सैनिकों को यह स्वीकार कहाॅं ।।
भारत का बच्चा बच्चा सैनिक ,
भारत हेतु जी जान लड़ा देंगे ।
जिसने भी छेड़ने की कोशिश की ,
उसको हम धरती पे सड़ा देंगे ।।
भारतीय सैनिकों का है जोर नहीं ,
उठा लेते हैं सर पे वे हर सितम ।
चाहे भारत हेतु देनी हो कुर्बानी ,
भूलकर भी कभी करता न गम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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