आ गुजरात, मैं बना व्यू छे

आ गुजरात, मैं बना व्यू छे

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

गुजरात में भाजपा एक बार फिर सत्ता अपने ही हाथ में रखना चाहती है। इसके लिए बूथ प्रबंधन से लेकर भावना प्रबंधन तक की रणनीति बनायी गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी 6 नवम्बर को गुजरात के दौरे पर रहकर नया नारा दिया- आ गुजरात, मैं बना व्यू छे अर्थात् ये गुजरात मैंने बनाया है। गुजराती में लांच किये गये इस नारे को लेकर विपक्षी दल बखेड़ा भी कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भाजपा इस बार गुजरात में रिकार्ड वोटों से जीतेगी। मैं यहां अपना ही रिकार्ड तोड़ने आया हूं। मोदी ने कहा कि वह जितना संभव होगा, गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए समय देंगे। भाजपा ने इस बार गुजरात में किसी भी विधायक या सांसद के रिश्तेदार को टिकट न देने का फैसला लिया है। इससे कुछ लोग नाराज हैं लेकिन नये लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।

गुजरात चुनाव का कामकाज देख रहे एक पार्टी पदाधिकारी और वरिष्ठ सांसद का कहना है कि जुलाई 2020 में 8 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी ने सबसे पहले इस मॉडल को अपनाया था। इन उपचुनावों में पार्टी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद फिर 2021 में गुजरात निकाय चुनाव में मॉडल को लागू किया गया। इसमें भाजपा को 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर सफलता मिली। इस नए फॉर्मूले के तहत भाजपा ने सभी पन्ना सदस्यों को एक पहचान पत्र जारी किया है। इसमें वे भाजपा के अधिकृत कार्यकर्ता के रूप में जाने जाएंगे। वोटिंग से पहले तक मंडल या जिला स्तर के नेता अपने इलाके के सभी पन्ना सदस्यों के घर कम से कम एक बार जाएंगे। पार्टी इन चुनावों में भी टिकट वितरण को लेकर नो रिपीट फॉर्मूला को लागू कर रही है। पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि, आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी नए चेहरों को 25 फीसदी टिकट देगी, लेकिन टिकट के लिए उम्मीदवार के जीतने की क्षमता ही एकमात्र मापदंड है। उन्होंने साफ कहा था कि, अगर अन्य उम्मीदवारों की अपेक्षा जीतने की क्षमता होगी तो पार्टी तीन-चार बार से निर्वाचित हो रहे उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है।

पार्टी ने फिर से गुजरात पर कब्जा बरकरार रखने के लिए चारों दिशाओं में मोर्चाबंदी कर दी है। जातीय और भौगोलिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की 182 सीटों को चार हिस्सों (सौराष्ट्र, उत्तर, पश्चिम, मध्य क्षेत्र) में बांट दिया है। सौराष्ट्र में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में महाराष्ट्र, उत्तर में राजस्थान और मध्य क्षेत्र में मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं की ड्यूटी लगाई है। इन चारों क्षेत्रों में इन राज्यों के मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और संघ पृष्ठभूमि के नेताओं को तैनात किया गया।

मध्यप्रदेश के सीमावर्ती और मध्य गुजरात के 7 जिलों की 37 सीटों का प्रभार पूर्व विधायकों व संगठन मंत्री रह चुके नेताओं को सौंपा गया है। मध्य प्रदेश से जुड़ी गुजरात की कुछ विधानसभा सीटे आदिवासी बहुल है। चुनाव रणनीति के हिसाब से हर सीट पर मध्यप्रदेश के दो-दो नेताओं को तैनात किया गया है। ये सभी लोग गुजरात प्रदेश इकाई के साथ दिल्ली हाईकमान को भी हर दिन की प्रोग्रेस रिपोर्ट साझा करेंगे। मध्य गुजरात की 37 सीटों पर भाजपा का कब्जा हैं। इसी तरह उत्तर गुजरात के क्षेत्र की 9 जिलों की 43 विधानसभा सीटों पर प्रवासी राजस्थानियों की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में इन सीटों पर भाजपा के पक्ष में मतदान का जिम्मा राजस्थान के नेताओं को दिया जाएगा। इन 9 जिलों में कच्छ, भुज, गांधी शहर और ग्रामीण, बनासकांठा, पाटन, अहमदाबाद उत्तर और दक्षिण, मोडासा, मेहसाणा, साबरकांठा शामिल है। इन सीटों के लिए राजस्थान के पूर्व मंत्री और राजस्थान बीजेपी में प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा को संयोजक बनाया गया है। यहां भी हर सीट पर 2-2 और उसके बाद हर जिले में भी 2-2 प्रभारी लगाए हैं। गुजरात में 18 से 20 प्रतिशत वोटर ऐसा है जो राजस्थानी है या फिर राजस्थानियों से व्यापार या अन्य दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। इसलिए ऐसे मतदाताओं को साधने के लिए राजस्थान से प्रभारी लगाए गए हैं। चुनाव में यूपी के योगी सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों और प्रदेश के दो राज्यसभा सदस्यों को कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गुजरात की जिन विधानसभा सीटों की कमान इन नेताओं को सौंपी है। उनमें से अधिकांश पर कांग्रेस काबिज है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के साथ इस बार आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है। सत्ताधारी भाजपा ने 27 वर्ष बाद अपना गढ़ बचाने के लिए पुराने पन्ना प्रमुख मॉडल में बदलाव कर दिया है। इस चुनाव में पार्टी नए मॉडल के साथ मैदान में उतर गई है। इस मॉडल को पन्ना कमेटी नाम दिया है। वोटर लिस्ट के हर पन्ने के लिए एक कमेटी में पांच सदस्य बनाए गए है। इसमें हर सदस्य की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने परिवार के तीन लोगों का वोट भाजपा को दिलाएगा। पार्टी ने पूरे प्रदेश में 82 लाख पन्ना सदस्य बनाए है। इसमें लक्ष्य है कि हर पन्ना सदस्य तीन वोट डलवाए।

उम्मीदवारों के नाम को तय करने के लिए भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 9 और 10 नवंबर को पार्टी मुख्यालय में होगी। इस बैठक में गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय होंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल भी इसमें हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि गुजरात में दो चरण में मतदान होने वाले हैं। पहले चरण के लिए 14 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 17 नवंबर पर्चा भरने की आखिरी तारीख है। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की अध्यक्षता मे केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव समिति की बैठक में शामिल होंगे। इससे पहले गुजरात में राज्य चुनाव समिति की तीन दिन तक बैठक में सभी 182 विधानसभा सीटों पर हुई नामों की चर्चा हुई थी। गुजरात चुनाव की तारीखों के बाद से ही तमाम पार्टियां चुनावी मोड में दिख रही हैं। पीएम मोदी ने 6 नवम्बर को राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर मैंने बनाया यह गुजरात का नारा दिया। पीएम मोदी ने यह नारा गुजराती भाषा में लॉन्च किया है। गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हर गुजराती आत्मविश्वास से भरा है, इसलिए हर गुजराती बोलता है, अंतरात्मा की आवाज बोलती है, हर आवाज गुजरात के दिल से आती है, यह गुजरात मैंने बनाया है। पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि आ गुजरात, मैं बनाव्यू छे ( ये गुजरात मैंने बनाया है), इसके बाद उन्होंने रैली के दौरान वहां मौजूद लोगों से इस नारे को कई बार दोहराने को भी कहा। गुजरात में बीजेपी ने किसी भी पार्टी विधायक या सांसद के रिश्तेदार को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। राज्य बीजेपी संसदीय बोर्ड ने यह फैसला लिया है। भरूच के बीजेपी सांसद मनसुख वसावा की बेटी ने टिकट मांगा था, लेकिन बीजेपी ने स्पष्ट किया कि किसी भी सांसद या विधायक के रिश्तेदार को विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा। ध्यान रहे 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा का चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण के तहत 1 दिसंबर और दूसरे चरण के तहत 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे।
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