मान की ‘कल्चर’ रणनीति

मान की ‘कल्चर’ रणनीति
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

समस्याएं परिस्थितियों से पैदा होती हैं। इसलिए उनका समाधान भी उसी के अनुरूप करना पड़ता है। पंजाब में उग्रवाद पूरी तरह से खत्म नहंी हुआ है। देश ही नहीं विदेश में बेठे लोग भी दहशत फैलाने का कुचक्र रच रहे हैं। पिछले दिनों इसका खुलासा भी हुआ। उग्रवाद के लिए कई अन्य कारणों के साथ पंजाब की गन कल्चर भी है। इससे मान-मर्यादा को भी जोड़ दिया गया। बंदूक रखना स्टेटस सिम्बल बन गया है। राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस गन कल्चर को समाप्त करने अथवा इसको कमजोर करने की रणनीति बनायी है। बीते दिनों आम आदमी पार्टी की सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इसका नतीजा तभी निकलेगा जब सरकार इसे जन सामान्य को समझाने में सफल होगी। सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलेगा। भगवंत मान सरकार ने निर्णय लिया कि बंदूक संस्कृति व हिंसा को बढ़ावा देने वाले गीतों और बंदूकों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबध्ंा लगाया जाए। राज्य सरकार तीन महीने में शस्त्रों के लाइसेंस की समीक्षा भी करेगी। इसी प्रकार भगवंत मान की सरकार ने प्रदूषण के लिए जिम्मेदार मानी जा रही पराली को लेकर भी कानून बनाया है। ईंट-भट्ठा मालिकों से कहा गया है कि वे ईंटें पकाने के लएि सीमित मात्रा में ही सही, लेकिन पराली का उपयोग अवश्य करें। इससे किसानों को यह कहने का मौका नहीं मिलेगा कि उन्हें पराली जलाने की मजबूरी है।

पंजाब सरकार ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्षी दलों की ओर से हो रही आलोचनाओं के बीच गत 13 नवम्बर को कई बड़े कदम उठाए। इनमें बंदूक संस्कृति व हिंसा को बढ़ावा देने वाले गीतों और आग्नेयास्त्रों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, राज्य सरकार ने अगले तीन महीने में शस्त्रों के लाइसेंस की समीक्षा करने का भी आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरती बयानबाजी में लिप्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। राज्य में कथित रूप से बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर ‘आप’ सरकार को विपक्षी दलों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में हाल ही में दो बड़ी घटनाएं हुईं हैं। चार नवंबर को शिवसेना (टकसाली) के नेता सुधीर सूरी और 10 नवंबर को डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप सिंह की हत्या कर दी गई। राज्य के गृह विभाग ने पुलिस प्रमुख, पुलिस आयुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। इसलिए शस्त्रों और हिंसा का महिमामंडन करने वाले गानों पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए। शस्त्रों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए और सार्वजनिक समारोह, धार्मिक स्थल, विवाह समारोह और अन्य कार्यक्रमों में हथियार ले जाने व प्रदर्शित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

इसके पीछे राज्य में बढ़ता उग्रवाद है। पंजाब के साथ देश के कई शहरों को दहलाने की साजिश को लेकर कई बड़े नाम सामने आए हैं। पंजाब की सरजमीं और हिंदुस्तान के कई शहरों में तबाही मचाने और देश विरोधी गतिविधियों, खून खराबे और हिंदूवादी नेताओं, डेरा से जुड़े अनुयायियों पर टारगेट किलिंग के मामलों में पाकिस्तान और खालिस्तान के 10 खूंखार चेहरों के नामों का खुलासा हुआ है। सेंट्रल एजेंसियों के इनपुट्स पर पंजाब पुलिस की एक गोपनीय रिपोर्ट में आतंक के 10 चेहरों के नाम पते का बाकायदा जिक्र किया गया है। जानकारी के मुताबिक यह नाम न सिर्फ पंजाब बल्कि देश भर में कई हिंदूवादी नेताओं की टारगेट किलिंग के प्लान को अंजाम देने का एंटी इंडिया ऑपरेशन चला रहे हैं। इनकी तैयारी देश में धार्मिक उन्माद फैलाने की है। पहली बार इन नामों का खुलासा पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट ओर सेंट्रल एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में किया है।

इनमें तरसेम सिंह पुत्र निरंजन सिंह, गांव हरिके, पट्टी जिला, तरनतारन, जो अब दुबई का निवासी है। तरसेम सिंह लांडा हरि के का भाई है जो फिलहाल कनाडा में है। दूसरा आतंकी जगरूप सिंह उर्फ रूप पुत्र सुच्चा सिंह निवासी गांव लोधीपुर, आनंदपुर साहिब, रूपनगर हाल निवासी है। इसी सूची में अमृतपाल सिंह उर्वा एमी पुत्र अमरजीत सिंह निवासी गांव चांद नवां, मोगा हाल निवासी फिलीपीन्स, मनप्रीत सिंह उर्फ पिता पुत्र नायब सिंह निवासी गांव बया वाला, फिरोजपुर हाल निवासी फिलीपींस, हरजोत गांव जंडवाला निवासी सरबजीत सिंह पुत्र सिंह निवासी मीरा सांगला फाजिल्का, हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पुत्र निर्मल सिंह निवासी बस्ती वसावा सिंह एन्ती तलवंडी निपाला, माखू, फिरोजपुर हाल निवासी इटली, अमनदीप सिंह उर्फ अमन खालिस्तानी निवासी अमृतसर हाल निवासी मलेशिया, गुरपिंदर सिंह उर्फ पिंदू उर्फ पिंडा निवासी गांव बड़ गोना तरनतारन, गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी निवासी गांव भूरा गोना तरन तारन शामिल हैं।

ये सभी पाकिस्तान और खालिस्तान से जुड़े हैं, जो पंजाब से हैं, लेकिन अब विदेश में बैठ कर पंजाब और देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के एंटी इंडिया ऑपरेशन में सक्रिय हैं। आतंक के इन चेहरों के तीन मददगार देश में ही मौजूद हैं जो फिलहाल फरार हैं। यह सभी एक दूसरे को जानते हैं और यह पाकिस्तान (आईएसआई) के इशारे पर अवैध हथियारों, गोला-बारूद की सप्लाई और फंडिंग की व्यवस्था भी कर रहे हैं। ये पंजाब में बड़े दंगे कराने के ऑपरेशन में भी शामिल हैं। सेंट्रल एजेंसियों के मुताबिक इन चेहरों को भारी तादात में विदेशी फंडिंग मुहैया करवाई जा रही है, ताकि यह विदेश से ही भारत मे खासकर पंजाब में आतंक को बढ़ावा दें और धर्मिक उन्माद फैलाकर दंगे कराएं। बंदूक कल्चर के साथ मान की सरकार ने एग्रीकल्चर पर भी ध्यान दिया है। धान की पराली के प्रबंधन को लेकर पंजाब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने ईंटों के भट्टों के लिए ईंधन के रूप में पराली को 20 प्रतिशत ईंधन के तौर पर उपयोग अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है। पर्यावरण एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है कि ईंटों के ईंट भट्टों में पराली के गठ्ठों को 20 प्रतिशत ईंधन के रूप में अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि इस नए प्रबंधन की तैयारी के लिए ईंट भट्टों के मालिकों को छह महीने का समय दिया गया है और 1 मई 2023 के बाद इन हिदायतों को लागू न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मीत हेयर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा किसानों की पराली प्रबंधन में मदद करने और पराली को जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इन सीटू और एक्स सीटू काम किए जा रहे हैं। इन सीटू में जहां पंजाब के किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सवा लाख के करीब मशीनें सब्सिडी पर मुहैया करवाई गईं, वहीं एक्स सीटू के अंतर्गत उद्योगों को पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पराली से सी.एन.जी., बिजली और अन्य ऊर्जा संसाधन पैदा करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
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