ओवैसी की बेचैनी

ओवैसी की बेचैनी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
आल इंडिया मजलिस-ए- एत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी इतना ज्यादा बेचैन क्यों हैं, यह अब समझ में आ रहा है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की पराजय पर सबसे ज्यादा सियापा ओवैसी ही कर रहे थे। वे बार-बार कह रहे थे कि भाजपा को हराने की कुव्वत इनमें (सपा और बसपा) में है ही नहीं। उत्तर प्रदेश और उससे पहले पश्चिम बंगाल में ओवैसी ने पूरी ताकत लगाकर देख लिया कि मुसलमान उनको अपना नेता नहीं मानते। ओवैसी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हो रहा है कि गये थे छब्बे बनने और लौटे दुबे बनकर। उनकी सबसे बड़ी पूंजी बिहार में थी, उसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने लूट लिया है। बिहार में एआईएमआईएम के पांच विधायकों में से चार ने राजद का दामन थाम लिया है। इन विधायकों पर दल-बदल कानून भी लागू नहीं हो सकता। ओवैसी की बेचैनी का यही कारण है। बिहार में ओवैसी के चार विधायकों के राजद में शामिल होने से तेजस्वी यादव की पार्टी राज्य में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गयी है। उधर, ओवैसी मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद वहां तीसरा मोर्चा बनाने का ख्वाब देख रहे हैं।

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के चार विधायकों के पाला बदलते ही बिहार में राजद अब सबसे बड़ी पार्टी फिर से बन गई है। अब आरजेडी के विधानसभा में 80 विधायक हो गए हैं। बीजेपी 77 विधायकों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी हो गई है। कुछ महीने पहले ही वीआईपी के तीन विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद बीजेपी जो सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी, मगर वह अब फिर दूसरे नंबर की पार्टी हो गई है।

बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से अब आरजेडी के पास 80, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, लेफ्ट के 16, हम के 4, वीआईपी के 1 और निर्दलीय विधायकों की संख्या 1 हैं। बता दें कि बिहार में एक बार फिर से बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। अचानक से ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो गये।

ओवैसी के विधायकों की राजद में एंट्री इतनी गुपचुप तरीके से थी कि किसी को पता भी नहीं चला। नेता प्रतिपक्ष ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के कमरे में पहुंचे और उसके बाद खुद ही सभी के राजद में शामिल होने की पुष्टि की। तीन महीने के दौरान बिहार में ये दूसरा मौका है जब बिहार में किसी पार्टी के विधायक टूटकर किसी दूसरे दल में जा मिले हों। इससे पहले इसी साल मार्च के महीने में मुकेश सहनी की पार्टी में भी ऐसी ही टूट हुई थी। बिहार सरकार में मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया था और बीजेपी का दामन थाम लिया।

वीआईपी के तीन विधायकों राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने दलबदल कानून के तहत पार्टी छोड़ी थी और बीजेपी में शामिल होने और विधानसभा में वीआईपी का विलय बीजेपी में कराने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को सौंपा था।

अब एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी में बड़ी टूट हो गई है। ओवैसी की पार्टी के चार विधायक तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गये। ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों के राजद में शामिल होने की पुष्टि खुद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है। इससे पहले दोपहर अचानक तेजस्वी यादव ने विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा के कमरे में एआईएमआईएम के 4 विधायकों के साथ पहुंचकर मुलाकात की। इस दौरान अख्तरुल इमान को छोड़कर एआईएमआईएम के सभी विधायक मौजूद रहे। पार्टी के जो विधायक राजद में शामिल हुए हैं, उनके नाम कोचाधामन सीट से विधायक मुहम्मद इजहार अस्फी, जोकीहाट से शाहनबाज आलम, बायसी से रुकनुद्दीन अहमद और बहादुरगंज के विधायक अनजार नईमी हैं।

ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों के शामिल होने के साथ ही राजद अब बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। इससे पहले बीजेपी ने मुकेश सहनी की पार्टी के विधायकों को अपने दल में मिलाया था। तब उसके सदस्यों की संख्या 77 पर पहुंच गई थी। एआईएमआईएम के 4 विधायकों के शामिल होने के बाद ओवैसी की बेचैनी बढ़ी है।

ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों रामपुर और आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। यह दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती थीं, लेकिन यहां सपा को बड़ा झटका लगा। इस पर एआईएमआईएम के

अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, चुनाव के नतीजे से साफ जाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो काबिलियत है और ना कुव्वत। मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना कीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर जाया करने के बजाय अपनी खुद की आजाद सियासी पहचान बनाएं और अपने मुकद्दर के फैसले खुद करें।’

आजमगढ़ अखिलेश यादव और रामपुर सीट को आजम खान का गढ़ माना जाता है और दोनों ही सीटें विधायक बनने के बाद इन नेताओं ने छोड़ दी थीं। समाजवादी पार्टी की हार को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुस्लिम मतदाओं को सियासी मैसेज देने की कोशिश की थी लेकिन उनके विधायक ही साथ छोड़ रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम अब मध्य प्रदेश में अगले साल 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव भी लड़ेगी। औवेसी ने भोपाल में ये ऐलान किया। उन्होंने कहा कांग्रेस और बीजेपी के बाद प्रदेश में तीसरा विकल्प भी मौजूद रहेगा। हमारी पार्टी एमपी में 2023 का विधानसभा चुनाव भी लड़ेगी। मध्यप्रदेश में तीसरा विकल्प बनने का मौका है। मध्यप्रदेश में जारी निकाय चुनाव के रण में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की भी एंट्री हो गई है। ओवैसी ने भोपाल नगर निगम चुनाव में पार्षद पद के लिए अपनी पार्टी के 6 उम्मीदवार उतारे। उनके समर्थन में प्रचार के लिए औवेसी खुद वहां आए थे।
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