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राहुल गांधी पर सर्वोच्च न्यायालय की कठोर टिप्पणी

राहुल गांधी पर सर्वोच्च न्यायालय की कठोर टिप्पणी

डॉ राकेश कुमार आर्य
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर फटकार लगाई है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का वह बयान जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें फटकार लगाई है 25 अगस्त 2022 का है , जब वह कारगिल में 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उस रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा था कि - ''लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में क्‍या-क्‍या पूछेंगे, लेकिन चीनी सैनिकों ने हमारे सैनिकों की पिटाई की, इस पर एक भी सवाल नहीं पूछेंगे ? चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। ''
सर्वोच्च न्यायालय के सामने कांग्रेस की ओर से सिंघवी ने अधिवक्ता के रूप में कई प्रकार के तर्क प्रस्तुत किये। परंतु न्यायालय ने उन सभी तर्कों को एक ओर रख दिया और कांग्रेस के नेता को अप्रत्यक्ष शब्दों में कह दिया कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया सकता। लोकतंत्र में नेता प्रतिपक्ष की बहुत गंभीर जिम्मेदारी होती है। उसे बगैर जिम्मेदारी के कोई भी वक्तव्य नहीं देना चाहिए। विशेष रूप से ऐसे वक्तव्य जो देश के लोगों को देश की सरकार के साथ-साथ देश की सेना के विरुद्ध भड़काने का काम करते हैं। ध्यान रहे कि 15 जून 2020 को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए थे। यद्यपि भारत के वीर सैनिकों ने 40 चीनी सैनिकों को भी मार दिया था।
राहुल गांधी के बयान के जवाब में उस समय लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर ( सेवानिवृत्त ) बीडी मिश्रा ने कहा था- ''भारत की एक इंच जमीन पर भी चीन का कब्जा नहीं है। 1962 में जो कुछ हुआ, उस पर बात करने से कोई लाभ नहीं है। आज सीमा की आखिरी इंच पर भी भारत का कब्जा है। भगवान न करें कि ऐसा हो, लेकिन अगर हालात बिगड़े तो हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।''
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नेता के इस वक्तव्य पर आपत्ति व्यक्त करते हुए संसद में कहा था कि :- "लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपने विदेश दौरे के दौरान जिस तरह की भ्रामक, निराधार और तथ्यहीन बातें कर रहे हैं, वह बेहद शर्मनाक और भारत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में सिख समाज को गुरुद्वारों में पगड़ी पहनने की इजाजत नहीं है, उन्हें उनके पंथ के अनुरूप व्यवहार करने से रोका जा रहा है। यह बात एकदम बेबुनियाद और सच्चाई से कोसों दूर है। भारत की संस्कृति की रक्षा करने में सिख समाज की जो बड़ी भूमिका रही है, उसको पूरा देश मानता है और उनका सम्मान करता है। उनके बारे में इस तरह की मनगढ़ंत बातें करना, विपक्ष के नेता को शोभा नहीं देता।"
वास्तव में राहुल गांधी ने एक बार नहीं अनेक बार ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें देश विरोधी बयान की श्रेणी में रखा जा सकता है।जब वह ऐसा बोलते हैं तो उनका सीधा लक्ष्य देश के भीतर आग लगाना होता है । उनका उद्देश्य होता है कि लोग भड़कें और सरकार के विरुद्ध जनादेश देने के लिए बाध्य हो जाएं।
सर्वोच्च न्यायालय ने झूठ बोलने में पारंगत हो गए राहुल गांधी को संदेश दिया है कि वह अपनी प्रवृत्ति में सुधार करें।
राहुल गांधी ने मोदी सरकार के विरुद्ध बगावत कराने की भावना से प्रेरित होकर देश के एससी / एसटी वर्ग के लोगों को एक बार भ्रमित करने का प्रयास किया कि नरेंद्र मोदी सरकार आरक्षण को समाप्त कर देना चाहती है। पिछला लोकसभा चुनाव तो उन्होंने एक झूठ को ही सच के रूप में परिवर्तित करके जीतने का प्रयास किया था कि मोदी सरकार देश के संविधान को बदल देना चाहती है। इस प्रकार की प्रवृत्ति को राजनीति में स्थापित करने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे राहुल गांधी को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कठोर शैली में समझाते हुए कहा है - "आपको कैसे पता कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर हड़प ली है, आपकी जानकारी का विश्वसनीय स्रोत क्‍या है ? यदि आप सच्‍चे भारतीय होते तो सेना और सीमा को लेकर इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। जब सीमा पर संघर्ष चल रहा हो तो क्‍या आप यह सब कह सकते हैं ? आप संसद में प्रश्न क्‍यों नहीं पूछते ? आप विपक्ष के नेता हैं, संसद में बोलिए, सोशल मीडिया पर नहीं।"
माननीय सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को सुनकर देश के राष्ट्रवादियों को बहुत ही सुखानुभूति हुई है।
हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी ने एक बार आरएसएस और बीजेपी को वास्तविक टुकड़े-टुकड़े गैंग और नफरत की राजनीति करने वाला भी कह दिया था। देश की एकता और अखंडता से खिलवाड़ करने वाले इस्लामिक आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध राहुल गांधी ऐसा कभी नहीं बोल सकते। आरएसएस के प्रति अपनी घृणा को अभिव्यक्ति देते हुए उन्होंने अपनी एक सभा में एक बार यह भी कह दिया था कि
" कौरव कौन थे? मैं आपको 21 वीं सदी के कौरवों के बारे में बताना चाहता हूं, वो खाकी हाफ-पैंट पहनते हैं, हाथों में लाठी लेकर चलते हैं और शाखा का आयोजन करते हैं। भारत के दो-तीन अरबपति इन कौरवों के साथ खड़े हैं। इस मामले में हरिद्वार अदालत में मामला लंबित है।" इसी प्रकार 17 नवंबर 2022 को अपनी भारत छोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने महान क्रांतिकारी वीर सावरकर जी को महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल को धोखा देने वाला और अंग्रेजों को माफीनामा लिखने वाला भी कह दिया था। राहुल गांधी के इस बयान पर खिन्न होकर सावरकर के पोते विनायक सावरकर और शिवसेना-शिंदे पार्टी की नेता वंदना डोंगरे ने राहुल गांधी के विरुद्ध अलग-अलग स्थान में दो केस दर्ज कराए।
13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने फिर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया। तब उन्होंने कहा था कि - "ललित मोदी, नीरव मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है ? सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है ?" इस पर जब उनके विरुद्ध केस दर्ज हुआ तो सूरत के एक न्यायालय ने उन्हें 2 वर्ष की सजा सुनाई। जिसके चलते राहुल गांधी को लोकसभा की अपनी सदस्यता भी छोड़नी पड़ी थी।
राहुल गांधी ने गौरी लंकेश की हत्‍या के बाद कहा था कि इस हत्या में आरएसएस और भाजपा का हाथ है। इस पर भी उनके विरुद्ध ठाणे के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष मुकदमा दर्ज कराया गया था। कभी उन्होंने देश के गृहमंत्री अमित शाह को हत्या का आरोपी भी बता दिया था। नोटबंदी के समय उन्होंने एक बैंक का नाम उल्लेख करते हुए कह दिया था कि अमितशाह इसके निदेशक हैं और इस बैंक ने 5 दिन में 270 करोड़ के नोट बदल दिए हैं। राहुल गांधी के इस बयान पर भी अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अजय पटेल ने 27 अगस्त 2018 को उनके विरुद्ध केस दर्ज कराया था। अपनी इसी प्रकार की झूठ बोलने की प्रवृत्ति का परिचय देते हुए दिसंबर 2015 में उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस ने उन्हें असम में एक मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया था। आरएसएस पर उन्होंने 6 मार्च 2014 को महाराष्ट्र के भिवंडी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था- 'आरएसएस के लोगों ने ही महात्‍मा गांधी की हत्या की और आज उनके लोग ही गांधीजी की बात करते हैं।'
राहुल गांधी के इन बयानों पर भी उनके विरुद्ध न्यायालयों में केस दर्ज हुए।
अभी कुछ समय पहले ही राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जिस प्रकार नेहरू और गांधी जेल गए थे इस प्रकार उन्हें भी कम से कम 10 वर्ष जेल जाने का अनुभव होना चाहिए। उनका यह बयान ऐसे ही हल्के में नहीं लेना चाहिए। उनका उद्देश्य है कि किसी प्रकार सरकार उत्तेजित हो और उन्हें एक बार जेल में डाल दे। वह सहानुभूति पाकर देश की सत्ता में आना चाहते हैं। क्योंकि उनके पिता ने अपनी माता इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात सहानुभूति बटोरकर ही सत्ता प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त राहुल गांधी ने यह भी देखा है कि जब उनके पिता की हत्या चुनाव के दौरान कर दी गई थी तो उसके पश्चात भी सत्ता से दूर जाती हुई कांग्रेस सत्ता में लौटने में सफल हो गई थी, क्योंकि लोगों ने राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रति सहानुभूति दिखाई थी।
राहुल गांधी यह भी जानते हैं कि जब महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी तो उनकी हत्या को भी सहानुभूति में परिवर्तित करने में उनके पिता राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरू सफल हो गए थे। इस प्रकार सहानुभूति की लहर की सीढ़ियां चढ़कर किस प्रकार कांग्रेस सत्ता में आती रही है ? उसको राहुल गांधी से अधिक कोई नहीं जानता। अब राहुल गांधी किसी भी प्रकार से अपने लिए वह स्थिति बनाना चाहते हैं, जिससे वह सत्ता में पहुंचें। इसके लिए वह जेल भी जाना चाहते हैं। वे सोच रहे हैं कि जैसे जवाहरलाल नेहरू नैनी जेल में रहकर सारी सुविधाएं पाते रहे थे, वैसे ही सुविधा उन्हें भी मिलती रहेंगी और वह आराम से जेल काटकर आने के बाद देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे। परंतु उन्होंने ही कांग्रेस के शासनकाल में नैनी जेल की सुविधाओं से विपरीत जाते हुए सावरकर की कालेपानी की सेलुलर जेल को जीवंत बनाते हुए जिस प्रकार मालेगांव की घटना के कथित आरोपियों को यातनाएं दी हैं, यदि वही उन्हें दे दी गई तो क्या होगा ? पाप किया है तो पाप भोगना भी पड़ेगा और यदि ऐसा हो गया तो निश्चित रूप से राहुल गांधी की राजनीति का ही अंत हो जाएगा।


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