माननीयों को सम्पत्ति बताने में शर्म!

माननीयों को सम्पत्ति बताने में शर्म!

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार में चालीस विधायकों ने अपनी सम्पत्ति का विवरण देने में शर्म महसूस की है। उन्हांेंने चुनाव आयोग को हलफनामे में अपनी सम्पत्ति का गलत विवरण दिया है। यह गंभीर किस्म का अपराध है और उस जनता के साथ भी धोखा है जिसने अपना अमूल्य वोट देकर विधानसभा में भेजा है। नियम तो यह है कि ऐसे माननीयों की सदस्यता समाप्त हो सकती है लेकिन इनमें सत्तारूढ़ दल के भी विधायक शामिल हैं। इसलिए कोई क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएगा, यह नहीं कहा जा सकता। माननीयों का अपराध जगत से बहुत निकट का संबंध रहा है। बहरहाल, बिहार के इन विधायकों के बारे में आयकर विभाग ने केन्द्रीय चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज दी है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2017 में ही केन्द्र सरकार को निर्देश दिया था कि उन विधायकों और सांसदों की सूची दी जाए जिनके खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है और बेहद कम समय में उनकी सम्पत्ति तेजी से बढ़ी है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को धता बताते हुए वर्ष 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले बिहार के 243 विधायकों में 40 विधायकों द्वारा अपनी संपत्ति का गलत ब्योरा हलफनामे में दिया गया है। इन विधायकों में 10 विधायक ऐसे हैं जिनकी संपत्ति की विवरणी में काफी हद तक गड़बड़ियां सामने आई हैं। कुछ विधायकों की संपत्ति हलफनामे में दर्शाई गई संपत्ति से तो 20 करोड़ से भी अधिक है जबकि कुछ की संपत्ति 10 करोड़ से अधिक पाई गई है। ये सभी विधायक सत्तारूढ़ दलों से लेकर विपक्ष के दलों से आते हैं। आयकर विभाग की जांच में यह बात सामने आई है। विधायकों द्वारा हलफनामे में दी गई संपत्ति की जांच कर इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजी गई है। रिपोर्ट में 40 विधायकों द्वारा संपत्ति की गलत जानकारी देने का खास तौर पर उल्लेख किया गया है। चुनाव हारने वाले नेताओं ने भी अपनी संपत्ति का गलत ब्योरा हलफनामे में दिया है। संपत्ति का गलत विवरण देने पर किस तरह की कार्रवाई होनी चाहिए। यह केंद्रीय चुनाव आयोग पर निर्भर करता है। बता दें कि गलत हलफनामा देने वालों की सदस्यता तक जाने का प्रावधान है। हालांकि इसकी प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है। संपत्ति का सही विवरण नहीं देना और कम दिखाकर हलफनामा दायर करना आयकर विभाग की कार्रवाई की जद में भी आ सकता है। साथ ही कानूनी कार्रवाई भी संभव है। सूत्रों की मानें तो राजद विधायक अनंत सिंह के पास 20 करोड़ से अधिक संपत्ति मिली है जबकि हलफनामे में जीतनराम मांझी की संपत्ति से संबंधित गड़बड़ी भी मिली है। हालांकि जीतन राम मांझी ने जुर्माना देने की पहल करते हुए इसमें सुधार करने की बात कही है। सूत्रों ने बताया है कि गया के बेलागंज से विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव दानापुर विधायक रीतलाल यादव और नवादा से चुनाव लड़े कौशल यादव के साथ ही हुलास पांडेय समेत अनेक विधायकों द्वारा दिए गए विवरण से अधिक संपत्ति पायी गई।

बिहार में नेताओं-अफसरों के घोटाले कोई नई बात नहीं है। मधुबनी से गुजरता नेशनल हाइवे 227 इन दिनों सुर्खियों में है। इस नेशनल हाइवे की खस्ताहालत दिखाता वीडियो और खबरें सोशल नेटवर्किंग साइटों पर वायरल हो चुके हैं। अब इसकी हालत पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट कर प्रतिक्रिया जता दी है। इसी बहाने उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। प्रशांत किशोर ने अपने ट्विवटर हैंडल पर मधुबनी से गुजरते इस हाइवे का वीडियो पोस्ट करते हुए ट्वीट में लिखा है ’90 के दशक के जंगलराज में बिहार में सड़कों की स्थिति की याद दिलाता यह बिहार के मधुबनी जिले का नेशनल हाईवे 227 (एल) है। अभी हाल में ही नीतीश कुमार जी एक कार्यक्रम में पथ निर्माण विभाग के लोगों को बोल रहे थे कि बिहार में सड़कों की अच्छी स्थिति के बारे में उन्हें सबको बताना चाहिए।’ बासोपट्टी में 20 किलोमीटर लंबे इस नेशनल हाइवे नंबर 227एल पर करीब सौ से अधिक गड्ढे हैं, जिसमें बरसात के समय में पानी भर जाने से मुसाफिरों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। प्रशांत किशोर अपने जन सुराज यात्रा पर थे। वे बिहार भ्रमण करते हुए स्थानीय लोगों से बिहार के विकास के बारे में उनकी राय जान-सुन रहे थे। प्रशांत किशोर ने 2015 के विधानसभा चुनावों में लालू-नीतीश गठबंधन को जीत दिलाने में मदद की थी और औपचारिक रूप से जदयू में शामिल हो गए थे। सियासी रणनीतिकार का अपना करियर छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर अब अपने गृह राज्य में परिवर्तनकारी राजनीति का वादा लेकर सियासी मैदान में उतरे हैं।

अनियमितता बिहार तक ही सीमित नहीं है। लॉकडाउन के दौरान जब सभी गतिविधियां बंद थी और लोग अपने घरों में कैद रहने को मजबूर थे, उसी दौरान मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में भ्रष्ट अधिकारी लाखों रुपए का घोटाला कर रहे थे। बता दें कि राजगढ़ जिले में विवाह सहायता योजना में लाखों रुपए का घोटाला होने का खुलासा हुआ। इस घोटाले में तत्कालीन सीएमओ रमेश चंद्र समेत कई अधिकारियों को दोषी पाया गया।

मामला राजगढ़ जिले के तलेन का है जहां वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान विवाह सहायता योजना में लाखों रुपए का घोटाला किया गया। इस घोटाले में नगर परिषद के कर्मचारी भी शामिल थे और सभी ने मिलकर मलाई खाई। इन घोटालेबाजों ने कागजों में उन महिलाओं की फर्जी शादी करा दी, जिनकी पहले ही शादी हो चुकी है और कई के तो बच्चे भी हैं। इस तरह आरोपियों ने विवाह सहायता योजना के तहत सरकार से मिलने वाले 51 हजार रुपए अपने खाते में डलवाकर हड़प लिए। दरअसल जिन महिलाओं के नाम पर घोटाला किया गया था, जब उन्हें इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत राजगढ़ कलेक्टर से की थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उन विधायकों और सांसदों की जानकारी मांगी थी जिनके खिलाफ सीबीडीटी जांच कर रही है और बेहद कम समय में उनकी संपत्ति तेजी से बढ़ी है। सुनवाई में जस्टिस जे चेलामेश्लर की अगवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को कहा कि ये बताएं कि जांच कहाँ तक पहुँची है ? आपने क्या कारवाई की है ? कोर्ट ने इसका हलफनामा दायर कर करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि अगर सरकार नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहते तो सील बंद लिफाफे में कोर्ट में दायर कर सकती है। केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सीबीडीटी उन विधायकों और सांसदों की जांच कर रही है जिनकी आय और संपत्ति में कम समय में ज्यादा इजाफा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। लोक प्रहरी एनजीओ ने याचिका दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव सुधारों को लेकर आदेश दे कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी अपनी और अपने परिवार की आय के स्त्रोत का खुलासा भी करे।
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